कैसे मिली मिथिला यूनिवर्सिटी को दरभंगा राज का मुख्यालय
१९७५ आपातकाल का समय दरभंगा के जिलाधिकारी ने डी आई आर के तहत दरभंगा
राज के हेड ऑफिस पर कब्ज़ा कर लिया . महाराजा के विल के एक्सकुएटर पंडित लक्ष्मी
कान्त झा ने इसके खिलाफ माननीय पटना उच्चन्यायालय में एक याचिका दाखिल की .फिर
सरकार से हुई समझौता और कुछ लाख रूपये में दे दी सैकड़ों एकड़ जमीन – भवन ,महारानी
ने भी राजकुमार शुभेश्वर सिंह के सहयोग से बेच दी अपना महल नरगोना और संलग्न बगीचा .....
जिलाधिकारी ,दरभंगा के आदेश संख्या १८३५ /एल दिनांक १६.८. ७५ के द्वारा एक्सेकूटर लक्ष्मी कान्त झा को डिफेन्स ऑफ़ इंडिया रूल १९७१ के सुसंगत प्रावधान के आलोक में दरभंगा राज के भवन एवं भूमि अधिगृहित करने की सूचना दी गयी जिसके खिलाफ पंडित लाक्स्मिकांत झा ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी . डब्लू .जे . सी . नंबर १७८६ /७५ दाखिल की . वाद के निपटारा से पूर्व हीं बिहार सरकार और दरभंगा राज के बीच समझौता हुई और जिलाधिकारी के आदेश और उक्त वाद को वापस ले लिया गया और १२.९.१९७५ को हुई इस समझौता के आलोक में १३३ एकड़ भूमि और भवन विस्वविद्यालय हेतु दी गयी . महारानी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी लि . द्वारा दी गयी जमीन इसके अतिरिक्त है उक्त समझौता कमिश्नर ,शिझा विभाग,बिहार सरकार और लक्ष्मीकांत झा के बीच हुई जिसपर इनदोनो के अतिरिक्त राजकुमार शुभेश्वर सिंह , रामेश्वर ठाकुर और द्वारिका नाथ झा के दस्तखत हैं, में तत्काल यूनिवर्सिटी को ५७ बीघा जमीन जिसमे राज हेड ऑफिस का अगला पूरा हिस्सा और पीछे का कुछ हिस्सा ,यूरोपियन गेस्ट हाउस ,आगे का फील्ड और मोतीमहल एरिया दी गयी और तत्काल १० लाख रुपया राज को देने की बात थी और शेष जमीन और भवन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण करने की बात थी .राज पुस्तकालय की करीब ६० हजार दुर्लभ पुस्तक उपहार में राज द्वारा यूनिवर्सिटी को दी गयी .महारानी द्वारा ६० एकड़ जमीन बगीचा सहित नरगोना पैलेस दी गयी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी ने ६ बीघा जमीन जिसमे गिरीन्द्र मोहन रोड स्थित बंगला नो .११ मात्र ६ .५१ लाख रूपये में यूनिवर्सिटी को दी गयी...क्या यूनिवर्सिटी को शेष भूमि भू अर्जन के तहत हुई या नहीं ?.जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ..
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जिलाधिकारी ,दरभंगा के आदेश संख्या १८३५ /एल दिनांक १६.८. ७५ के द्वारा एक्सेकूटर लक्ष्मी कान्त झा को डिफेन्स ऑफ़ इंडिया रूल १९७१ के सुसंगत प्रावधान के आलोक में दरभंगा राज के भवन एवं भूमि अधिगृहित करने की सूचना दी गयी जिसके खिलाफ पंडित लाक्स्मिकांत झा ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी . डब्लू .जे . सी . नंबर १७८६ /७५ दाखिल की . वाद के निपटारा से पूर्व हीं बिहार सरकार और दरभंगा राज के बीच समझौता हुई और जिलाधिकारी के आदेश और उक्त वाद को वापस ले लिया गया और १२.९.१९७५ को हुई इस समझौता के आलोक में १३३ एकड़ भूमि और भवन विस्वविद्यालय हेतु दी गयी . महारानी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी लि . द्वारा दी गयी जमीन इसके अतिरिक्त है उक्त समझौता कमिश्नर ,शिझा विभाग,बिहार सरकार और लक्ष्मीकांत झा के बीच हुई जिसपर इनदोनो के अतिरिक्त राजकुमार शुभेश्वर सिंह , रामेश्वर ठाकुर और द्वारिका नाथ झा के दस्तखत हैं, में तत्काल यूनिवर्सिटी को ५७ बीघा जमीन जिसमे राज हेड ऑफिस का अगला पूरा हिस्सा और पीछे का कुछ हिस्सा ,यूरोपियन गेस्ट हाउस ,आगे का फील्ड और मोतीमहल एरिया दी गयी और तत्काल १० लाख रुपया राज को देने की बात थी और शेष जमीन और भवन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण करने की बात थी .राज पुस्तकालय की करीब ६० हजार दुर्लभ पुस्तक उपहार में राज द्वारा यूनिवर्सिटी को दी गयी .महारानी द्वारा ६० एकड़ जमीन बगीचा सहित नरगोना पैलेस दी गयी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी ने ६ बीघा जमीन जिसमे गिरीन्द्र मोहन रोड स्थित बंगला नो .११ मात्र ६ .५१ लाख रूपये में यूनिवर्सिटी को दी गयी...क्या यूनिवर्सिटी को शेष भूमि भू अर्जन के तहत हुई या नहीं ?.जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ..
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shiksha se arjit sampatti shiksha me jana uchit hee tha,
ReplyDeleteIsase LN Mishra ka koi sambandh nahi hai - LNMU se LN nam ko hataya jana chahoye.. Mithila ke pahle kisee ka bhee nam nahi ho.Koi Mithila se umcha nahee hai. Lalit Babu ke nam par Balua me unke parijan jameen delkar nya universty banawen.
@rsprasad
ReplyDeleteName of Lalit Narayan be removed from LNMU in Bihar; its original name was MITHILA UNIVERSITY. LN Mishra had nothing to do with; property was of Darbhanga Raj so place renamed Kameshwarnagar is ok
Dr. Dhanakar Thakur,Founder,Antarrashtriy Maithili Parishad 9430141788