Tuesday 22 September 2015

दरभंगा क पुनर्निर्माण



          
 इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट स्कीम क क्षेत्र से राज क महल आ राज क मकान आ  इलाका बाहर राखल गेल   l राजक एरिया क स्कीम क तहत पुनर्निर्माण क जिम्मा राज स्वयं लेलक  अओर बहुत् रास जमीन मुह्मांगा दाम  पर खरीद के  निश्चित योजना क अनुरूप दरभंगा राज अपन श्रोत से पुनर्निर्माण शरू केलक l १९३४ क  भूकंप क ढेढ़ साल क भितर बरबादी क चिन्ह मिटा देल गेल l मलबा हटा देल गेल जहि से करीब १०००० टका प्राप्त भेल रहे आ सुन्नर बंगला , आवास आ सड़क स वो एरिया  खिल उठल l  एकर श्रेय मुख्यतः संवेदक के अछि जे हुनका सुपुर्द देल गेल काज के तत्परता आ सम्पूर्णता क संग  पूरा करवा मे कोनो कोर कसेर नहि रखलैत  l
पुरना  नरगोना क जगह पर  इंग्लैंड क कंपनी मैकिनटोश बर्न नव महल  बनौलक जे  तागतवर कंक्रीट  निर्माण क  अंतिम शब्द अछि  l  एकरा सोम्य मुदा  कलात्मक रूप मे सजौल गेल आ आइ तक क हिसाब से सब उपकरण  लगौल गेल l  अधिकांश फर्नीचर कलिम्पोंग आर्ट्स आ क्राफ्ट्स से आपूर्ती भेल l विद्दुत क सब सामान जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ,इंग्लैंड क द्वारा कैल गेल l कोठली क रंग रोगन स्कीम शानदार अछि आ महल क हरेक कोन आधुनिकता क मोहर अछि l आराम आ सफाई एकर विशिष्ट खूबी अछि l हर कोठली शीत नियंत्रित l महल क भवन क भीतर तरणताल !लिफ्ट क सुविधा l  
  नव राजक   मुख्यालय भवन (वर्तमान मे ल. ना. मिथिला विश्वविदयालय क मुख्यालय)  बहुत पैग संरचना जेकर बनबे क  श्रेय फेर  मेसर्स मैकिनटोश बर्न के जायत अछि l राज क काज –व्यापार के सुभिधापूर्ण आ दझता से चलेवाक लेल सब एक जगह केन्द्रित l कोषागार आ रिकॉर्ड रूम के सुरक्षl आ ढंग से   सावधानीपूर्वक नियोजित l मुख्यालय भवन क सामने उद्यान मे तीन ता संगमरमर क मान्छ क मुंह से निकलैत पानि क फब्बारा अहि भवन क शोभा के अतुलनीय क देलक l
      राज मुख्यालय मुख्य मार्ग पर स्थित १९ वीं शदी मे इंग्लैंड क वास्तुविद क बनौल महल आनंदबाग महल वर्तमान मे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय  मे कोनो बदलाव नहि कायल गेल ओकर पुरना स्वरुप यथावत राखल गेल l एकर टावर लंदन क बिगबेन क तर्ज पर अहि महल मे लिफ्ट क सुविधा सेहो छल l  
वोहिना रामबाग महल क स्वरुप भूकंप से  पहुलके जेना राखल गेल l
 कंकाली मंदिर दिल्ली क सरदार इन्द्रजीत सिंह द्वारा पुरने नक्शा क अनुरूप निर्मित भेल l
राज पुस्तकालय भवन ब्रिटानिया बिल्डिंग्स द्वारा बनौल गेल जेकर एक निदेशक श्री बामा प्रसाद मुकर्जी जे प्रख्यात शिझाविद सर आसुतोष मुकर्जी क पुत्र छैथ वो बहुत बेसी व्यक्तिगत अभिरुचि एकर निर्माण में लेलैथ l
 सनातन पंथी हिन्दू अतिथि के जरुरत से मेल खायत गेस्ट हाउस जे विश्राम कुटीर कहैत अछि , क  निर्माण करौल गेल l
पूरा हराही , कहियो सबसे गलीच क्वार्टर छल आब राजक पदाधिकारी आ कर्मचारी क  सुन्नर आवास से पूर्ण अछि    टीशन से महल क सैर नव निर्मित  गिरीन्द्र मोहन पथ से भ के या डेनबी पथ केकरो अचरज आ प्रशंषा से भरि देत  जहि हद तक सम्पूर्णता से काज पूरा भेल l
   राज इलाका क सबसे नव जोड़ रामेश्वर प्लेस अछि जे चौरंगी क नाम से जानल जायत अछि l एकर  .डिजाईन कर्नल टेम्पल आ निर्माण मैकिनटोश बर्न केलैथ l एकर मध्य मे बिहार क निर्माता मे एक  स्व . महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह क संगमरमर क आदमकद मूर्ति क अनावरण ३० नवम्बर १९३५ क भारत क वाइसराय आ गवर्नर जनरल क  हाथ से संपन्न भेल l एकर चारू कात घुमावदार सीमेंट क बेंच लोक के बैसवाक लेल घर  बनल अछि आ अहिठाम से चारू दिशा मे चारि टा पथ निकलैत अछि पूब किला ,पछिम माधवेश्वर ,दखिन राज मुख्यालय ,आनंदबाग आ उतर दिश राज हस्पताल जेकर भवन क शिलान्यास भारत क  वाइसराय आ गवर्नर –जनरल द्वारा सेहो एके दिन भेल .अहि हस्पताल क भवन क उद्घाटन १२ दिसम्बर १९३६ क बिहार  क महामहिम राज्यपाल  मिस्टर जेम्स डेविड सिफ्टन द्वारा संपन्न भेल l एकर निर्माण मेसर्स मार्टिन & कंपनी , कोलकाता द्वारा कायल गेल l
बेला पैलेस( वर्तमान मे पोस्टल एंड ट्रेनिंग सेंटर)  क नाम से मशहूर  महल क निर्माण महाराजाधिराज क भाई  राजा बहादुर विशेश्वर सिंह क लेल  भेल अहि  महल क प्रांगन म  बाघ क  घर सेहो  सड़क कात से बनौल गेल  चूँकि राजा बहादुर बाघ  पोसवाक शौखिन  सेहो छला lओहि महल मे खुबसूरत ऑडिटोरियम सेहो अछि l    
रामेश्वरी लता संस्कृत विद्यालय भवन  जे हराही क उत्तर स्थित अछि के नव निर्माण सेहो करौल गेल l  
दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा दभंगा टावर क नजदीक गोल मार्केट क निर्माण भेल जहि मे जाय लेल चारू दिश से पथ  बनल आ मध्य मे पोखैर आ पार्क जे दिल्ली क कनाट प्लेस से कम नहि छल l
मिर्जापुर स्थित महारानीअधिरानी कामेश्वरी प्रिया पुअर होम क शिलान्यास ७ फ़रवरी १९४१ के महामहिम राज्यपाल ,बिहार क द्वारा भेल l                          
सब बिना एको अपवाद के भुकम्ररोधी बनल आ आधुनिक शहर क अनुरूप बनल l

Friday 11 September 2015

बिहार क भूकंप
                          अओर
                  दरभंगा राज

      


                                                              अनुवादक

                                                       रमन दत्त झा 







इतिहास सर्वोतम श्रोत अछि   ज्ञान के  l १९३४ क भूकंप एखनो याद द जायत अछि जेकर भरपाई नहि भ सकल l बिहार क सबसे भयंकर प्रलय मानल जायत अछि १९३४ क भूकंप जे  मिथिला के  भौगोलिक  रूप से दू फाँक मे क देलक वो त भाषा छल जे दुनु भाग के एक केने रहल  l  निर्मली-  भपटियाही रेल मार्ग ध्वस्त भ गेल जे एखन तक बनौल नहि जा सकल ,गोपालपुर घाट पूर्णिया राजमार्ग नहि रहल गुलाब बाग मंडी प्रभावित भेल  l  दरभंगा , मधुबनी क रेल आ सड़क सम्बन्ध सहरसा ,मधेपुरा ,सुपौल ,पूर्णिया ,कटिहार ,किसनगंज से तुइत गेल जेकर प्रभाव सोराठ सभा पर सेहो पडल lमिथिलाक वो भाग नजदिको रहयत दूर भ गेल l  कोशी क शोक कहि के  एतेक  प्रचारित भेल जे लोक बिसैर गेला जे वोहि झेत्र क अवनातिक मुख्य कारण १९३४ क भूकंप छल आ मुख्यतः मिथिलाक अवनति वोहि दिन से शरू भ गेल वो ते धन्यबाद देवाक चाही परम आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी क जे बिना कोनो मांग के  नार्थ ईस्ट कॉरिडोर मे  ई दुनु भाग के सड़क मार्ग से तथा कोशी पर रेल पुल क पुनर्निर्माण क योजना से रेल मार्ग से  मिथिला के जोड़ लैथ एकटा राजमार्ग सेहो मंजूर भेल अछि जे उमगाँव से मधुबनी – लोफा – महिषी –सहरसा से वस्तुतः सीताजी क जन्म स्थली से मंडन मिश्र क महिषी के अर्थात सीतामढ़ी –मधुबनी – सुपौल –सहरसा के जोरत l पूर्णिया हवाई अड्डा क पुनर्निर्माण सेहो अहि इलाका के जोडवा मे सहायक होयत ,दरभंगा हवाई अड्डा के खोल्वाक सेहो मांग भ रहल अछि  l महाराजाधिराज क सेहो ई सोच छल अहि से वो पहिल लोकसभा खास दरभंगा से नहि अपितु पूर्णिया दिस से लड्लैत l हम वस्तुतः पूर्णिया क श्रीनगर क स्व. कुमार गंगानंद सिन्हा के आभार व्यक्त करब जे अपन अंग्रेजी मे लिखल किताब “ दि  बिहार अर्थक्वेक एंड दि दरभंगा राज “ मे वो सब लिख्लैत जेकरा अपन मात्रभाषा मे हम रखवाक धृष्टता  अहि पोथी ‘बिहार क भूकंप अओर  दरभंगा राज ‘ मे  कायल ( उपसंहार छौड के) l सुधि पाठक क सुझाव ,आलोचना क आभारी रहब l
                                 रमन दत्त झा . 

Wednesday 26 August 2015

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मे १७ सितम्बर १९३९ के प्रो- चांसलर डा . कामेश्वर सिंह क अध्यक्षीय व्यख्यान


महानुभाव ,
ई बैसार एहि विश्वविद्यालय क इतिहास क मीलक पथर हे व जा रहल अछि l एहि नामी शिक्षl पीठ क एक निर्माता(महामना मदन मोहन मालवीय )  आइ अहि से अधिकारिक रूप से अलग भ रहला हां. बरखो पहिने ओ एक सपना देखने रहयत l जे दिन क रौशनी क मोहनी छल l ओ सब  अपन  कठोर परिश्रम से सपना के  वास्तविकता मे परिणत केलैथ l अहि महान  देश क कतेक राजा – महाराज आउर लोग बाग अपन कन्हा अहि धुरी में लगौलैत अऔर काशी क पवित्र शहर मे गंगा क कछार में अहि संस्था के खरा केलैंह जे पुरना गुरुकुल अऔर आजुक विश्वविद्यालय क बीच एक कड़ी अछि l तक्षशिला ,नालंदा अऔर विक्रमशिला क पुनर्जन्म क सपना २० वीं शदी में अहि नालाग्राम क विरहत झेत्र मे सच भेल l आब वो सपना नहीं रहल l वो हमरा सब लेल ठोस मूर्त रूप भ गेल अऔर अबय वाला पीढ़ी  ओकरा कायम रखता अऔर गर्व महसूस करता l महामना  क उपहार , ईश्वर क अहि कार्य मे इच्छा अहि प्रमुख संस्था के अही ठाम नहि रोकत l उनकर देश लेल प्रेम हुनका विश्राम क अनुमति नहि दैत अछि  l ओ अपन आवाज से भारत के जगबैत रहला अऔर नेता , प्रजाक क शासक के सब धर्म क महत्वपूर्ण वीज के संरझित रैख भविष्य क महान विकास आउर  उन्नति एक नया रूप में प्रेरित केलैथ आउर  नव सभ्यता क भाव हुनक गौरव गाथा क बखान करैत अछि l मुदा आदमी क शरीर क अपन सीमा छै l हुनका लग्लैंह जे शारीरिक झमता अहि मशाल के थमने रहनैय क अनुमति नहि देत अछि l आउर  वो अपन राष्ट्र क अगला पीढ़ी के अहिठाम  से  आगू बढेवाक लेल थमा रहल छैथ l अहि पवित्र अवसर पर हम हुनका  अपन अपार आदर अर्पित करैत नमस्कार करैत छी l
महोदय , हम आइ दुखी नहि भ सकैत छी l हमरा वोहि दिन क स्मरण अतीत में ल जायत अछि जेखन हमर स्वर्गवाशी पिता  विस्वविद्यालय क स्थापना क योजना मे पूरा मोन से आदरणीय पंडित जी क संग मिलके कोष जमा करवा में नेतृत्व केलैथ .मालवीयजी क शुरू क हमर छाप अहि यूनिवर्सिटी से जुरल रह्वाक स्थायी अछि l हम हमेशा विचार करैत छी जे ओ बनरस हिन्दू यूनिवर्सिटी के मूर्त रूप देलैथ . अहि द्वारे बिना कोनो मलाल के हम दोसर तरहे सोचे छी मुदा इतवा हम निश्चित करव जे हमरा जे थोर संतुष्टि ई जैन के भेटल जे महामहिम लार्ड रेक्टर हुनका कुलपति पद छोरलाक  क  उपरांत विस्वविद्यालय क  उप संरझक मनोनीत केलैथ हां .
महानुभाव ,यद्यपि आब ओ विश्वविद्यालय क मामला मे सक्रिय रूप से भाग नहि लेता मुदा हमरा कोनो शंका नहि अछि जे हुनक ठोस  सेवा अऔर त्याग  केखनो हमरा सब के जे अहि विश्वविद्यालय के काज में लागल छी  हुनक उद्देश से भटक नहि देत  मार्गदर्शन अऔर  प्रोत्साहित करैत रहत l हुनक जीवन भैर क तपस्चर्य हमरा सबके डिग नहि देत आउर  जे महान उदहारण ओ  हमरा सब लग स्थापित   केलैथ ओ केखनो दृष्टि से अझोल नहि हैत l जेना अहाँ सब जनैत छी  पंडित मदन मोहन मालवीय मात्र  एक नाम नहि  छैथ वो  समस्त हिन्दू भारत क आत्मा क सूचक छैथ .ई हमरा सब  लेल संभव नहि अछि जे केना हुनक कृतज्ञता ज्ञापन करी . हमरा सब लेल गर्वक गप्प अछि जे हम सब हुनक राष्ट्र क छी ,गर्व अछि जे हम सब सब वोहि जाति से छी जे एहन महान मेधावी उत्पन्न केलक आउर  ई हमर सबहक सौभाग्य अछि जे हुनक विशाल  ज्ञान आउर   अनुभव एखनो हमरा सब के उपलब्ध अछि l वो स्वास्थ्य और दीर्घायु होयत !. 
हम सब अपना सब के धन्यबाद देब जे हमर सबहक  अहि महान राष्ट्रपुरुष से एक दोसर महान राष्ट्र पुरुष( डा. सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ) जे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लब्धप्रतिष्ठित  विद्वान ,एक स्वाभाविक चिन्तक आउर  भारतीय धर्म और दर्शन क एक अधिकारिक वेत्ता क  हाथ में दीप  जायत.lई कहब उचित हायत जे अहि विश्वविद्यालय क नियंतण क मामला पूरब और पश्चिम क समन्वय बनेवाक उद्देश्य मुख्यतः वोहि व्यक्ति क हाथ में जेवाक चाही जे अहि विषय पर विशिष्ट अध्ययन आउर  पूरा परिश्रम ,उत्साह एवं  निपुणता से अपन  नियम के व्यवहार में लाबयत l .फेर, ध्यान देवाक योग्य अछि जे ओ अपन सम्बन्ध कोलकाता और ऑक्सफ़ोर्ड से जारी रखता l . हमरा पूर्ण आशा अछि  जे अहि तरहे वो पुरवी और पश्चमी संस्कृति आउर  सभ्यता से प्रभावकारी संपर्क स्थापित करवा में सक्षम होयता l  हुनका सफलता क शुभकामना आउर  प्रार्थना अछि जे हुनक कुलपति क कार्यकाल मे विश्वविद्यालय उन्नति करे तथा  जहि उदेश्य लेल एकर स्थापना भेल ओ पूरा हो l

                                                       ( अंग्रेजी से मैथिलि मे अनुवाद . ....)  

Sunday 19 July 2015

SANAD

         The Sanads  given below as (a) to (c) are mentioned and relied upon in the Sadar Dewany      Adawlat
                                                                                                                                                      Judgement, dated the 17th February 1844 :--
(a)   Sanand granted by Maharaja Bishnu Singh, dated the 9th chait Sudi,1150(1742-43 A. D. ).

Maharaja Sri Bishnu Singh, the Lord of Lords and always victorious in battle, to the abode of all blessings, the prosperous Maharaja Kunwar Babu Sri Narendra Singh (may he live long ), blessings:--
        On account of illness I have become very weak . I therefore give you the Raj of Trhut and Dharampur, etc., with the Malikana Dasturs pertaining to Raj. You shall possess them. You shall maintain intact the provisions for maintenance of the females made by the late Raja and also those made by myself; I have made you my Karta.
(b)    Sanad granted by Maharaja Pratab Singh Bahadur , dated the 13th Asar Sudi, 1182.

Maharaja Sri Pratab Singh Bahadur , the Lord of Lords and victorious in battles , to the abode of all good and all blessings, the prosperous Sri Madho Singh, blessings:--
        I have now become old and there is no certainty of life. I am constantly affected with illness more and more serious, so I have gigiven you the Raj of Sirkar Tirhut and Pargana Dharampur and Malikana Dasturs of the Raj and Nankar, Mokarri, and Kamat villages and land, the property possessed and enjoyed by me . Being installed in the Raj, you will enjoy everything and pay the revenue of the Government. I have got no children and so I have made You Karta.
(c)    Sanad granted by  Maharaja Madho Singh , dated the 5th sSawan Sudi, 1186.

Maharaja Sri Ragho Singh, the most noble and always victorious in battles , to the abode of all good and all blessings, the prosperous Maharaja Kunwar Sri Bishnu Singh, blessings:--

     I have given you the whole Raj of Tirhut, Mokarri, and Nankar villages and Dharampur and all the Malikana Dasturs and the Rajgi rights which I enjoy. You shall possess and enjoy the same, you shall maintain intact the assignments. I have made the maintenance of your younger brother Babu Sri Narendra Singh ( may he live ling ) as a Babu and the provisions I have made for the support of his family.

Tuesday 16 June 2015

बिहार विधान परिषद् के १३३ वें सत्र में सर्व श्री अनिरुद्ध प्रसाद ,शकील अहमद खान ,रामजी प्रसाद शर्मा ,रामकृपाल यादव एवं राम प्रसाद सिंह , स , वि. प. द्वारा दरभंगा महाराज की मृत्यु के पश्चात् गठित ट्रस्ट द्वारा अनियमितता वरते जाने के सम्बन्ध में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जाना

श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय , दरभंगा महाराज की मृत्यु १ ओक्टुबुर १९६२ को हो गयी l उन्होंने मरने के पूर्व एक बिल किया था , जिसके अनुसार उनकी सारी संपत्ति की एक तिहाई से होनेवाली आमदनी को पब्लिक चैरिटी पर खर्च होना है , जिसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई l उक्त ट्रस्ट द्वारा स्व . महाराज की इच्छा के विपरीत पब्लिक चैरिटी के लिए सम्पति कौड़ी के मोल में बेचीं जा रही है और उसका उपयोग पब्लिक चैरिटी के अतिरिक्त अन्य कार्यों में किया जा रहा है , बिल के विरुद्ध है l उदाहरणार्थ , श्री गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी ( श्री मदन मोहन मिश्र )का आवास वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख ७ हजार प्रति कट्ठा के हिसाब से विकी है , जो की कम है और उससे ऊँची हैसियत की जमीन श्री द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन ३९ कट्ठा मात्र एक लाख , सत्रह हजार रूपये कट्ठा की दर से विक्री की गयी है , जिसका निबंधन लंबित है और खरीददार को कब्ज़ा दे दिया गया है l पब्लिक चैरिटी पर अभी तक कोई खर्च नहीं हुआ है और सारे पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है l
अतः उपर्युक्त विषय के संबंध में सरकार से सदन में स्पष्ट वक्तव्य की मांग करता हूँ l
श्री रमई राम( मंत्री ); महोदय , जिलाधिकारी , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार स्थिति इस प्रकार है :
    अंतिम दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह की मृत्यु दिनांक १. १०.६२ को हुई l मृत्यु के पूर्व ५.७.६१ को उन्होंने एक बसीयत बनाया था ,जिसके अनुसार तीन अनुसूचियों के अनुरूप अपनी सम्पतियों को बांटा l

 बसीयत के अनुसार १/३ हिस्सा पब्लिक चैरिटेबल परपस के लिए दिया था l

बाद में महाराज के कई परिवारिक सदस्यों ने कई मुकदमें महाराज के पैत्रिक कोर्ट ( कलकता उच्च न्यायालय ) में किये l अंततः यह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में गया और ५.१०. ८७ को फॅमिली सेटलमेंट हुआ l इस सेटलमेंट के अनुसार Resudary Estate के पब्लिक चैरिटेबल कार्य हेतु जो सम्पति रखी गयी , उसमे प्रश्नगत भूमि भी शामिल है l Resudury एस्टेट में वर्णित सम्पति की देख – भाल ट्रस्ट के द्वारा किए जाने की व्यवस्था थी l resudury एस्टेट में जो सम्पति चैरिटेबल प्रॉपर्टी के लिए रखी गयी थी , उसकी व्यवस्था महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा की जनि चाहिए थी l२५. ३. १९९२ को त्रुस्टी ने महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट और दरभंगा निबंधन कार्यालय में एक डीड कार्यान्वित किया , जिसमे ट्रस्ट का एम्स एवं ऑब्जेक्ट निर्धारित किया गया l
 l
एक ट्रस्टी श्री डी. एन . झा ने समाहर्ता को यह जानकारी दी कि इस एम्स एवं ऑब्जेक्ट के अनुसार ही लगभग ढाई – तीन माह पूर्व बंगला नंबर ५ के उच्चतम निविदादाता डा . संजय कुमार झा ने तत्काल १४.३५ लाख रूपये जमा किया l उसके अनुसार दर ९१ हजार रूपये प्रति कट्ठा है l श्री झा के अनुसार बंगला नंबर -२ के उच्चतम निविदादाता ने २ लाख ७ हजार रूपये प्रति कट्ठा दर भरा , परन्तु राशि जमा नहीं की l
इस नीलामी / बिक्री पर स्थायी रोक हेतु व्यव्याहर न्यायालय , दरभंगा में स्वत्व्वाद संख्या ५ /९९ दायर है l जिसके कारण सम्पति के निबंधन का कार्य अभी नहीं हुआ है l
डा. नीलाम्बर चौधरी : महोदय , माननीय मंत्री महोदय से मैं यह जानना चाहता हूँ की ६२ के बाद अभी तक चैरिटी ट्रस्ट में कितना पैसा जमा हुए और उसमे क्या काम हुआ ? मैं ये जानना चाहता हूँ l
श्री रमई राम (मंत्री ): हुजुर , इनके प्रस्ताव में इसकी चर्चा नहीं थी कि ६२ के बाद क्या हुआ , इसके लिए समूचा रिकॉर्ड देखना होगा ... कितनी सम्पति ..
सभापति : मूल प्रश्न जो जानना चाहते हैं माननीय सदस्य कि ...
श्री रमई राम (मंत्री ): मूल प्रश्न अभी ...
डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह : पब्लिक चैरिटी पर अभी तक जो खर्च हुआ है और महोदय .. सारा पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है l सीधा प्रश्न है l
श्री रमई राम ( मंत्री ): महोदय , आपसे आग्रह करेंगें कि यह लम्बा मामला है , इसके लिए समय चाहिए l माननीय सदस्य , जिससे कहेंगें , जाँच करायेंगें और जाँच करा कर प्रतिवेदन ...
                                                    ( व्यवधान )
 डा . महाचन्द्र प्रसाद सिंह : ये  राज्यहित में है , आपके हित में है l हमसब अनुभव कर रहे है कि इसका मिसयूज काफी हुआ है l
श्री रमई राम (मंत्री ): नहीं ,हम आपसे आग्रह करते हैं महाचंद्र बाबू , चौधरी जी से भी आग्रह करते हैं की इनसे कहिए, इसकी जाँच कराके प्रतिवेदन माननीय सभापति महोदय को सुपुर्द कर दें l
आवाजें : कब तक ?
श्री रमई राम (मंत्री ) : जब कहेंगे , तब l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय ,
श्री भोला प्रसाद सिंह : हमलोग तो आजकल कहते हैं l लेकिन दरभंगा  महाराज की सम्पतियों का  मामला जो है , ट्रस्ट का मामला है , केवल दरभंगा महाराज तक सीमित नहीं है , यह बिहार की प्रतिष्ठा , ख्याति का सम्बन्ध है l अगर उसके ट्रस्ट में ,उसकी जमीन पर यूनिवर्सिटी बनी , उसकी जमीन पर और उसकी जायदाद का जो दुरूपयोग हो रहा है , तो हर बिहारी से यह कंसर्न है l आप इसकी जाँच इनके अधिकारियों से करायेंगे या कोई एजेंसी से करायेंगे , लेकिन जाँच करा लीजिए, क्योंकि हमलोग भी सुनते हैं कि दरभंगा महाराज के पैसों का , उनकी जमींदारी की जमीन है जिसमे म्यूजियम बनवाया और भी चीज बनवाया , यूनिवर्सिटी बनवाया , काफी उसकी लूट हो रही है l इंडियन नेशन , आर्यावर्त की लूट हो रही है तो इसके लिए जरुरी है कि सम्पूर्ण ट्रस्ट की जाँच हो जय और आप यदि समझिए तो सदन की समिति से जाँच करा लीजिए l
श्री रामकृपाल यादव : मेरा भी सप्लिमेंटरी का अधिकार है l
सभापति : हाँ , बोला जाएl l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय , ऐसा लगता है कि जो मूल प्रश्न है , सर , ध्यानाकर्षण के माध्यम से , उसका खुद ही संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं , वे खुद ही एहसास कर रहे हैं l चूँकि यह राज्यहित का मामला है और किसी खास व्यक्ति का मामला नहीं है , राज्यहित का मामला है , करोड़ों – करोड़ की प्रॉपर्टी का मामला है और उसका दुरूपयोग हो रहा है , इससे राज्य का अहित हो रहा है , इसिलिय हम चाहेंगे कि माननीय मंत्री जी , चूँकि सब सदस्यों ने चिंता जाहिर की है कि इन तमाम मामलों के जो आरोप हैं , उसकी तह में जाने की जरुरत है l इन तमाम मामलों की जाँच कराने की आवश्यकता है l हम निवेदन करना चाहेंगें माननीय मंत्री से , चूँकि उन्होंने कहा है कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है , हम जाँच के लिए तैयार हैं , तो हम जानना चाहेंगें माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कि क्यों नहीं सदन की कमिटी आप बना देते ? तमाम तथ्यों की जानकारी आ जाएगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा l एक कमिटी बना दीजिए सदन की और स्वयं तैयार भी हैं माननीय मंत्री जी और मैं बिलकुल सत्य भावना से यह बात रख रहा हूँ l
श्री रमई राम ( मंत्री ) : हुजूर , मैं अपने जवाब में कह सकता हूँ कि जिला समाहर्ता , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार हमने जवाब दिया है , यह स्पष्ट हम कहते हैं l

                         ( व्यवधान )                   
                         ( व्यवधान )                      
सभापति : आप सुन लें l
श्री रमई राम ( मंत्री ): जो भी जवाब दिया है , हम उसकी चर्चा कर रहे हैं ,आप सभापति महोदय ,जो आदेश देंगें , हम उसको मानने के लिए तैयार हैं l
      ( इस अवसर पर अनेक माननीय सदस्य एक साथ बोलते रहे )
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , मैं ...
श्री भोलाप्रसाद सिंह : इसमें समिति सरकार ही बना दे l कोई जरुरी नहीं है कि अध्यझ ही बनायें , सरकार भी बना सकती है , तो सरकार ही बना दे l
सभापति : एक आदमी बोलिए न l
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , सिर्फ चैरिटी के माध्यम से पैसा खर्च नहीं किया गया है , सिर्फ एक पॉइंट की बात कर रहे हैं l इसमें माननीय सदस्यों ने लिखा है किकौड़ी के भाव में उनकी संपतियां बेचीं जा रही है , इस प्रश्न पर हमलोग नहीं आए , दूसरी तरफ उन्होंने उदहारण दिया है कि गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी के आवास वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख , सात हजार रूपए प्रति कट्ठा के हिसाब से बिकी है , जो कि कम है l दूसरा उदहारण दिया गया है कि द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन ३९ कट्ठा मात्र एक लाख , १७ हजार रूपए कट्ठा की दर से बेचीं गई है , जिसका निबंधन लंबित है l इसलिए सभापति महोदय , हम चाहते हैं कि जो इसमें मूल प्रश्न है कि इनकी सम्पतियों को कौड़ी के भाव , मतलब किसी तरह या तो निबंधन कम दाम पर कराया जा रहा है या फिर किसी को इसी तरह दे दिया जा रहा है चैरिटी शो में , पैसा नहीं जाय इसके लिए इसमें भी हमलोग , सदन जानकारी चाहती है l
डा . महाचंद्र प्रसाद सिंह : जाँच के पीरियड में निबंधन पर रोक लगे , नहीं तो बैबाद हो जाएगी सम्पति सब , तो फिर जाँच किस चीज की होगी ?
                     ( व्यवधान )
सभापति : एक मिनट l माननीय सदस्य डा . महाचंद्र सिंह ने कहा है किअगर आप इससे संतुष्ट नहीं हैं जो उत्तर आपके पास आया है , जिलाधिकारी के प्रतिवेदन के आधार पर तो इस बीच में क्या सरकार निबंधन के ऊपर प्रभावी रोक लगा देगी उस समय तक  के लिए जबतक कि इसकी पूरी जाँच न हो जाए , यह माननीय सदस्य जानना चाहते हैं l
श्री रमई राम (मंत्री ): सभापति महोदय , आपके आदेशानुसार , निदेशानुसार मैं निबंधन विभाग को लिखवा दूंगा विभाग से कि तत्काल जबतक जाँच नहीं होती है ,इसका निबंधन न किया जाए l
आवाजें : क्याकह रहे हैं ?
सभापति : नहीं , निबंधन पर रोक लगाने के बारे में सरकार ने कहा कि वे आदेश दे देंगें ताकि निबंधन इस बीच में न हो और जाँच के बारे में जो निर्णय होगा , उसके आलोक में जाँच की जाएगी l
श्री रामकृपाल यादव : माननीय मंत्री जी तैयार हैं किसी भी समय जाँच के लिए तो क्या दिक्कत है ?
                    ( व्यवधान )
श्री भोलाप्रसाद सिंह : सरकार भी समिति बनती है l मुझे भी कम से कम सुनील मुखर्जी के साथ मेंबर रहने का मौका मिला है l सरकार ही समिति बना दे l कोई जरुरी नहीं है कि सदन का अध्यझ ही समिति बनाये l
सभापति : ठीक है
                   ( व्यवधान )
सभापति : माननीय उप नेता कुछ कहना चाह रहे हैं l
श्री रामनंदन सिंह : सभापति महोदय , माननीय सदस्य शकील अहमद साहब एवं अन्य  माननीय सदस्यों ने जो ध्यानाकर्षण किया था , वे लोग अभी हैं नहीं l
श्री शकील अहमद खान ( बैठे – बैठे ) : हम हैं l
श्री रामनंदन सिंह : और माननीय मंत्री जिस समय पढ़ा गया था और माननीय मंत्री ने जवाब दिया , उसमे एक बेसिक पॉइंट जो है इसमें पूछा गया , तो कहा कि इतना नहीं है तो अच्छा होगा की १९ तारीख को जो आपने अभी उठाया है उसको छानबीन के बाद जवाब दिया जायेगा l
श्री रमई राम (मंत्री ) : नहीं , नहीं l छानबीन नहीं हो सकती है l  इतना जल्दी कैसे होगा l इसलिए आप जाँच करा लीजिये l जिससे करना है , हम तैयार हैं l
सभापति : माननीय सदस्य श्री भोलाप्रसाद सिंह ने एक प्रस्ताव दिया कि सरकार इस विषय को गम्भीरता को देखते हुए सम्पति का दुरूपयोग नहीं हो , नाजायज उसका उपयोग न हो , इसके लिए सरकार स्वयं एक समिति विधिवत गठित कर दे और उसमे सरकार अगर चाहे तो जनप्रतिनिधियों को भी शामिल कर सकती है l क्या सरकार ऐसा निर्णय लेगी ?
श्री रमई राम ( मंत्री ) : महोदय , मैं पहले ही कह चूका हूँ कि आसन का जो निर्देश होगा उसमे माननीय सदस्य है , चौधरीजी भी रहेंगें l
श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय सरकार तो हमारे मुख्यमंत्री जी है ...
                    ( व्यवधान )
श्री शकील अहमद खान : महोदय , आसन का निर्देश हो जाय l
सभापति : सरकार इस मामले में उच्च अधिकार प्राप्त एक समिति का गठन करे जो एक महीने के अन्दर जाँच प्रतिवेदन अपना सरकार को समर्पित करे l   

क्या सरकार ने उच्च अधिकार समिति गठन की ? क्या समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी ?क्या जाँच के दौरान भूमि के निबंधन पर रोक लगी ?  जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ...... 

Monday 15 June 2015

कैसे मिली मिथिला यूनिवर्सिटी को दरभंगा राज का मुख्यालय

१९७५ आपातकाल का समय दरभंगा के जिलाधिकारी ने डी आई आर के तहत दरभंगा राज के हेड ऑफिस पर कब्ज़ा कर लिया . महाराजा के विल के एक्सकुएटर पंडित लक्ष्मी कान्त झा ने इसके खिलाफ माननीय पटना उच्चन्यायालय में एक याचिका दाखिल की .फिर सरकार से हुई समझौता और कुछ लाख रूपये में दे दी सैकड़ों एकड़ जमीन – भवन ,महारानी ने भी राजकुमार शुभेश्वर सिंह के सहयोग से  बेच दी अपना महल नरगोना और संलग्न बगीचा .....
जिलाधिकारी ,दरभंगा के आदेश संख्या १८३५ /एल  दिनांक १६.८. ७५ के द्वारा एक्सेकूटर लक्ष्मी कान्त झा को डिफेन्स ऑफ़ इंडिया रूल १९७१ के सुसंगत प्रावधान के आलोक में दरभंगा राज के भवन एवं भूमि अधिगृहित करने की सूचना दी गयी जिसके खिलाफ पंडित लाक्स्मिकांत झा ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी . डब्लू .जे . सी . नंबर १७८६ /७५ दाखिल की . वाद के निपटारा से पूर्व हीं बिहार सरकार और दरभंगा राज के बीच समझौता हुई और जिलाधिकारी के आदेश और उक्त वाद को वापस ले लिया गया और १२.९.१९७५ को हुई इस समझौता के आलोक में १३३ एकड़ भूमि और भवन विस्वविद्यालय हेतु दी गयी . महारानी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी लि . द्वारा दी गयी जमीन इसके अतिरिक्त है उक्त समझौता कमिश्नर ,शिझा विभाग,बिहार सरकार  और लक्ष्मीकांत झा के बीच हुई जिसपर इनदोनो के अतिरिक्त राजकुमार शुभेश्वर सिंह , रामेश्वर ठाकुर और द्वारिका नाथ झा के दस्तखत हैं, में तत्काल यूनिवर्सिटी को ५७ बीघा जमीन जिसमे राज हेड ऑफिस का अगला पूरा हिस्सा और पीछे का कुछ हिस्सा ,यूरोपियन गेस्ट हाउस ,आगे का फील्ड और मोतीमहल एरिया दी गयी और तत्काल १० लाख रुपया राज को देने की बात थी और शेष जमीन और भवन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण करने की बात थी .राज पुस्तकालय की करीब ६०  हजार दुर्लभ पुस्तक उपहार में राज द्वारा यूनिवर्सिटी को दी गयी .महारानी द्वारा ६० एकड़ जमीन बगीचा सहित नरगोना पैलेस दी गयी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी ने  ६ बीघा  जमीन जिसमे गिरीन्द्र मोहन रोड स्थित बंगला नो .११ मात्र ६ .५१  लाख रूपये में यूनिवर्सिटी को दी गयी...क्या  यूनिवर्सिटी को शेष  भूमि भू अर्जन के तहत हुई या नहीं ?.जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ..
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