Sunday 14 May 2017

आज के ज़माने में राजा महाराजा के स्टेचू से भारत के पुराने  इतिहास और संस्कृति  का बोध होता है  और उस इतिहास और उस रियासत को जानने की ललक लोगों में  पैदा होती है  जब हम दुसरे शहर में हर जगाह उनके स्टेचू देखता हूँ तो दरभंगा याद आने लगता है मैं कुछ दिन पूर्व  बैंगलोर में था  कुबन पार्क हो या लाल बाग सब जगह उनके मूर्ती लगे हैं l एक हम हैं कि  राजनेता के मूर्ती लगाते हैं  जिनका दरभंगा से कोई सम्बन्ध नहीं है और न कोई योगदान , जिसे देख कर लोगों में किसी तरह का बोध नहीं आता l दरभंगा  प्रिंसली स्टेट हैं हमें  दरभंगा के  राजा- महाराजा की स्टेचू लगानी चाहिये इससे हमारे शहर को एक पहचान बनेगी और मिथिला की संस्कृति से लोग परिचित होंगें l सच मानिये ये महाराजा हमारे नेता से कहीं अच्छे थे जिन्होंने अपने राज के विकास में बड़ी योग्यदान दी l  खेलकूद , संगीत को बढ़ावा दिया , पुस्तकालय - स्कूल - कॉलेज बनवाया , कल - कारखाने लगाये , चिकित्सालय बनवाये ,मंदिर - तालाब बनवाये  जो भी कार्य किया उच्च कोटि की l उनकी सोच बड़ी थी ,दिल बड़ा था ,प्रजा की प्रति हमदर्दी थी l हमारी मांग होगी कि दरभंगा हवाई - अड्डा का नाम महाराजा कामेश्वर सिंह बहादुर जिन्हें दरभंगा, मधुबनी , पूर्णिया  हवाई अड्डा का निर्माण का श्रेय है तथा बिहार के पहले एविएशन कंपनी खोलने और वायु सेवा शुरू करने का श्रेय जाता है,  के नाम पर हो l

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