मिथिला के मधुबनी के भौड़ा गढ़ी और दरभंगा के आनंदबाग महल फिर रामबाग किला के सिंह द्वार के ऊपर दरभंगा राज का सुर्ख लाल रंग का झंडा जिसके बीच में षटकोण बना हुआ जैसा इसरायल के झंडे में है , लहराता था और उसके बीच मछली , मछली के नीचे श्री कृष्ण और षटकोण के आठों कोण में दुर्गा सप्तसती का सिद्ध सम्पुष्ट मन्त्र ' करोति सः न शुभे हेतेश्वरी , शुभानि भद्रयान भिहन्ति चपादः " का एक - एक शब्द उद्धृत था जो लोक कल्याण और समृद्धि और विपत्ति नाश का निवारण करता है . दझिण के महान पंड्या राज के राजकीय झंडे में भी मछली का चिन्ह था .
षट्कोण प्राचीन दक्षिण भारतीय हिंदू मंदिरों में देखा जाता है . यह नर-नारायण, या मनुष्य और ईश्वर के बीच हासिल संतुलन की सही ध्यान स्थिति का प्रतीक है, और यदि बनाए रखा जाता है, तो "मोक्ष" या "निर्वाण" (सांसारिक दुनिया की सीमाओं से छुटकारा पाने और इसके भौगोलिक गुणों) प्राप्त होता है.
षट्कोण प्राचीन दक्षिण भारतीय हिंदू मंदिरों में देखा जाता है . यह नर-नारायण, या मनुष्य और ईश्वर के बीच हासिल संतुलन की सही ध्यान स्थिति का प्रतीक है, और यदि बनाए रखा जाता है, तो "मोक्ष" या "निर्वाण" (सांसारिक दुनिया की सीमाओं से छुटकारा पाने और इसके भौगोलिक गुणों) प्राप्त होता है.
Good work, श्रीमंत
ReplyDeleteविस्तृत जानकारी के लिए बहुत बहुत साधुवाद
ReplyDeleteयदि इस ब्लॉग में ईस्वी का भी उल्लेख होता, जैसे की यह प्रतीक किन राजवंशो के समय अपनाया गया था और किस महाराजा के समय अंतिम स्वरूप मिला, तो ब्लॉग और भी तथ्यपरक होता .
धन्यवाद .