Sunday, 31 August 2014

THE DARBHANGA IMPROVEMENT TRUST BILL,1934



महाराजा ने  हराही और उससे लगे गलीच /गंदा इलाके  को सुन्दर, स्वास्थ्यकारक और   प्लांड रूप देने के साथ हीं तत्कालीन सरकार को  राज ऐरिया को छोर कर शेष शहर को अधुनिक शहर के अनुरुप सुधारने हेतु    जिला पदाधिकारी मिस्टर टी .ए. फ्रेस्टन के माध्यम से महामहिम राज्यपाल बिहार और उडीसा को  प्लांड सिटी बनाने हेतु २५ लाख रूपये देने का प्रस्ताव रखा   जिससे शेष  शहर का विकास प्लांड तरीके से हो जिसके लिए सरकार की तरफ से इम्प्रूवमेंट स्कीम के लिए डाटा संग्रह का कार्य प्रारंभ किया गया .जैसे हीं महाराजाधिराज के प्रस्ताव की जानकारी लोगों को हुई कई तरह के अफवाह दरभंगा वाशियों में उड़ने लगे और इम्प्रूवमेंट स्कीम ट्रस्ट के विरुद्ध आन्दोलन शुरू हो गये थे . आंदोलनकारी मुख्यतः दरभंगा के  मुस्लमान और मारवाड़ी थे . वे लोग कुछ तो आंशिक रूप से स्व हित और कुछ  गलत अवधारणा से अविभूत होकर  डर रहे थे .वे लोग सोच रहे थे कि महाराजा लोक हित के विपरीत और स्वंय की उन्नति हेतु ऐसा करवा रहे है . विस्तृत व्यौरा के अभाव में वे लोग एक अपनी विचार बना लिए कि किया होने जा रहा है .  हिन्दू महासभा के कार्यकारी अध्यझ डा . बी . एस . मुंजे लोगों के आन्दोलन की जानकारी लेने के लिए दरभंगा आये थे को महाराजा ने अपनी भेंट में स्पष्ट किया कि उनका टाउन प्लानिंग प्रस्ताव से इतना हीं नाता है कि दरभंगा को उन्नत और आधुनिक शहर के अनुरूप करने हेतु २५ लाख रुपया देने का प्रस्ताव सरकार को दिए हैं शहर को उन्नत करने की पूरी प्रक्रिया सरकार लोगों के विचार से करेगी. डा. मुंजे ने लोगों को  महाराजा को जहाँ इस उदारता हेतु  धन्यबाद देना चाहिए वोहीं  लोग अनावश्यक संदेह पाले है उन्होंने महाराजा को सलाह दिए कि लोगों के आशंका को दूर करने हेतु जनता में एक अपनी बयान जारी करें ताकि लोगों की आशंका ख़त्म हो जाय. सरकार द्वारा    दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल ( बिल नंबर ७ /१९३४  बिहार विधान परिषद् में सरकार की ओर से ३ सितम्बर को  बिल प्रस्तुत करते हुए मिस्टर डब्लू . बी . ब्रेट ने अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भूकंप के बाद दरभंगा के महाराजाधिराज ने आगे बढ़ कर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट को एक बड़ी पूंजी देने का प्रस्ताव दिए है जिससे शहर के तंग और संकरी वस्तियों को फिर से इस रूप में प्लान कर बनाया जाय जिससे निवाशियों को पिछले भूकंप में जो त्रासदी और जान-माल की नुकसान हुई वह नहीं हो . दरभंगा को इम्प्रूवमेंट स्कीम क्यों चाहिए इस सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि जिन्होंने पिछला भूकंप नहीं देखे वही ऐसा कह सकते है .यह शहर दो भाग से बना है . दरभंगा और लहेरियासराय जो काफी खुला है और सड़कें चौड़ी हैं लेकिन कुछ भाग काफी तंग हैं जो पश्चिम में बाजार का इलाका है बड़ी बाजार से कतकी बाजार होते हुए गुदरी बाजार . इस झेत्र के लिए इम्प्रूवमेंट स्कीम की सख्त जरुरत है . भूकंप से पहले यह काफी घनी भीड़ वाला बाजार था जहाँ संकरी सड़क थी वैसे कुछ मजबूत ईमारत हैं लेकिन अधिकांश पुराने और छोटे – छोटे दुकान थी . इतनी भीड़ रहती है कि दम लेने की जगह नहीं मिलती ऐसे में जैसा कि भूकंप आया था इन तंग गलियों में जैसा कि मुंगेर में त्रासदी हुई यदि लोग घर से निकलें तो मकान के मलवे सर पर गिरने से कुचले जायेंगें कियोंकि कोई खुला जगह नहीं है जहाँ वे शरण ले सकें वैसे विगत ३-४ महीने में मुझे कई सुझाव प्राप्त हुए है कुछ का सुझाव है कि पक्के कंक्रीट का घर बने ,कुछ का कहना है कि ऐसा घर बने जो भूकंप में झूल जाय लेकिन एक मुर्ख आदमी के नाते मैं मानता हूँ कि सबसे बेहतर है कि दौर कर जितना जल्दी हो खुले जगह पर आ जाएँ जहाँ आपके ऊपर कुछ गिरने का खतरा न हो लेकिन बड़ी बाजार के लीगों को यह सलाह देना मजाक होगा कल्पना कीजिए १० फीट के सड़क पर  हजारों लोग आ भी जाएँ तो आगे नहीं बढ़ सकते . उनके लिए बाहर निकलने के बाद भी कोई आस नहीं बचेगी इसिलिय जरुरी है कि ये बाजार फिर से बने , रोड बने जिससे इन लोगों की सुरझा की संभावना हो . इसिलिय इम्प्रूवमेंट स्कीम चाहिए . चाहिए नम्र शब्द होगा यूँ कहिये कि यह जीवन – मरण का मामला है यदि आज की पीढ़ी को नहीं तो निश्चित रूप से उनके आनेवाले पीढ़ी के लिए .    जिसे ७ सितम्बर ,१९३४ तक रिपोर्ट देने हेतु   सेलेक्ट कमिटी को सौंपा गया जिसमे श्री सच्चिदानंद सिन्हा , मौलवी शेख मुहम्मद शफी , मौलवी मुहम्मद हस्सन जन , राय बहादुर श्यामानंद सहाय , बाबु चंद्रेश्वर प्रशाद नारायण सिन्हा , मिस्टर डब्लू . जी . लकी और कुमार गंगानंद सिन्हा सदस्य थे . सेलेक्ट कमिटी के रिपोर्ट के बाद दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल सदन से बिल के पझ और बिपझ में लम्बी बहस के बाद १८ सितम्बर १९३४ को यह बिल पारित हुई और ट्रस्ट अगले नवम्बर से कार्य करने लगी . मुहम्मद शेख शफी ने बिल में संसोधन का प्रस्ताव दिया था  जिसका विरोध डा . सच्चिदानंद सिन्हा ने किया और मौलवी मुहम्मद हस्सन जन ने भी किया मौलवी हस्सन जन ने कहा कि यदि कोई असुविधा कुछ लोगों को होती भी है तो एक पुनीत कार्य के लिए इसे शहर के हित में वहन करना चाहिए वरना झेत्र की प्रगति कभी नहीं हो सकता  ,राय बहादुर द्वारिकानाथ जो तिरहुत डिवीज़न  नगरपालिका से सदस्य थे ने भी बिल के कभी समर्थन में थे तो कभी विरोध में थे लेकिन उन्होंने लोगों की  अवधारणा जो इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट महाराजाधिराज और दरभंगा राज के इशारे पर लाया गया है  को गलत कहा उन्होंने कहा की ट्रस्ट बोर्ड के ६ सदस्य में उन्हें  मात्र एक को मनोनीत करने का  अधिकार है .बाबु निरसु नारायण सिन्हा ने भी समर्थन किया ,बाबु हरेकृष्ण चौधरी ने भी समर्थन किये ,मौलवी मुहम्मद अब्दुल घनी ने पूजा और इबादत के स्थान को लेकर प्रस्ताव दिए जिसपर सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया कि पूजा स्थान यथावत रहेंगें   . डा . सच्चिदानंद सिन्हा ने दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल का पुरजोर समर्थन किये . जिसमे बाजार का विस्तार ,रोड का चौरीकरण , पार्क ,स्वस्थ्य- अस्पताल  ,पर्यावरण ,जल निकासी ,जलापूर्ति , विधुत आपूर्ति , का समुचित प्रबंध था उन्होंने कहा की भारत में लोक हित में हमारे अमीर पैसा नहीं खर्च करते जैसा कि दुसरे देशों में लोग खर्च करते हैं उन देशों में लोक भावना अपने देश से ज्यादा हैं हमारे देश में जहाँ अधिकांश लोग गरीब हैं धनवान लोगों को पैसा लोक हित में लगानी चाहिए और इस कार्य को सराहना होनी चाहिए . महाराजाधिराज का इस आपदा के समय शानदार  सराहनीय कार्य के लिए दान का लाभ उठाने हेतु बिल को पारित कराने को कहा  .पुरे दरभंगा- लहेरियासराय का हवाई सर्वे कराने के बाद कोलोनेल टेम्पले और महाराजा ऑफिस के सहयोग से  दरभंगा के प्लान को अमली जामा दिया गया था  .लेकिन जबतक ट्रस्ट अपना काम पूरा कर पाती  एक नई शासन व्यवस्था पर्दुभाव ले रही थी समाज के अदूरदर्शी लोगों के कारण गोल मार्केट में कॉलेज खुल गया . कटकी बाजार और बड़ी बाजार शिफ्ट नहीं हो सका . उन दोनों बाजार के सड़क संकरी हीं रह गयी जहाँ १९८८ के भूकंप में फिर से जानमाल की क्षति हुई . लालबाग राज स्कूल के  बगल का पार्क अपने रहनुमा का इंतजार हीं करता रहा .अजीमाबाद पार्क में कॉलेज




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