Sunday, 14 January 2018

कर्महे तरौनी

मिथिला में हरसिंह देव् के पंजीव्यवस्था समय हमर मूल पूर्वज   तरौनी गाम में रहैत छलाह  जे कर्महे वंशधर संतति छलाह . अहिठाम उल्लेख आवश्यक जे धुरतराज गोनू झा वंशधर पुत्र छलाह . . . परमेश्वर झा अपन पोथी  "मिथिला तत्व विमर्श " में लिखैत छथि महाराज शिवसिंहक रजवाड़ासँ अव्यवहित पश्चिम तरौनी गाम अछि ओहिसमय एहि गाममे बड्ड भारी विद्वान, सिद्ध पुरुष तथा श्रौतस्मतीनिपुण लोक बसैत छलाह जे शिवसिंहक आश्रित भए अनेकों ग्रामोपार्जन कयलनि। विशेषतः कर्महे मूलक श्रोत्रिय ब्राह्मण छलाह। हिनका लोकनीक डीह गामक दक्षिण-पश्चिममे छन्हि संप्रति ओहि डीहकेँ लोक सभ विष्णुपुरी डीह कहैत अछि।कर्महे तरौनी मूल श्रोत्रिय ब्राह्मण में वर्तमान  मे उजान ग्रामवासी मीमांसक श्री योग दत्त प्रभुत तथा अवाम गाम में बाबू श्री भगवान दत्त झा तथा बाबू श्री मनधन झा( वर्तमान मिथिलेश श्री रमेश्वर सिंह , के . सी . आई. . सार ) प्रभृत छवि
मीमांसक पंडित योग दत्त झा (1843--1923) मीमांसा ,योग और धर्मशास्त्र क संगहि आसन पर सेहो हिनकर पकड़ छल l धर्मशास्त्र मे वो " वपनविवेक" क आलेखन केलैथ जे कोन कोन बात पर केस कटेवाक विधान अछि l अहि ग्रन्थ क पुष्पिका मे ओ अपना के मीमांसक लिखला अछि ,हिनक अन्य   प्रकाशित बहुत रास ग्रन्थ अछि जेना अमृतोपदेश , गीतात्र्यप्रकाशिका आदि I बाबू श्री भगवान दत्त झा  और  बाबु श्री  मनधन झा क पिता बाबु घरभरन झा  जिनकर  छोट  पुत्री  ( राजमाता  साहिब  जिनकर सारा पर  दरभंगा  क  माधवेश्वर  मे अन्नपूर्णा  मंदिर अछि ) क  विवाह  मिथिलेश  रमेश्वर सिंह  से  छल ,  संत कवि  छलाह  हिनक पाण्डुलिपि  उपलब्ध  अछि  जे  कबिरवानी  अछि  और  कैथी  लिपि  में  अछि जेकर  प्रकाशन  लेल  कार्य  प्रगति  पर अछि l 
 १५ वीं  शदी मे कर्महे  तरौनी  मूल  क  विष्णुपुरी  झा  के  मोरंग  के  राज दरवार  से  दू टा  गाम  प्राप्त  भेल  छल  वो  सन्यास  धारण  क  लेने  छलाह  और  बहुत  नामवर  कवि  छलाह . सुनवा  में  अछि  जे  वोहि  गाम  क  दानपत्र   बाबू  भगवान  दत्त  झा  क  समयतक  हुनका  जिम्मा  मे छल  और  वो  ओकर  राजस्व  प्राप्त  करयत  छला .    
तरौनी से देवानंद  झा उजान  बसला पंजी मे हिनक उल्लेख  प्रेतपाल  देवानंद   अछि . जनश्रुति  अछि  जे    एकबेर  हुनका  प्रेत    गेल और  अपन  विवाह  करेवा लेल  बाध्यकारी    देल  वो  प्रेत  के  बुझेवा मे सफल भेला  जे  हम  प्रेत  विवाह  पद्धति  नहि जनैत  छी  हमरा  एकर  अध्ध्यन लेल  समय  चाही  I  प्रेत एक आध दिन मे विवाह संपन्न करेवाक वचन    हुनका  सकुशल घर पहुंचा  देलक  . वचन निर्वाह करवा लेल वो भूत- प्रेत - पिशाच विवाह पर अध्ययन प्रेत विवाह पद्धति बना नियत समय पर प्रेत विवाह संपन्न करेला ज्ञातव्य हो कि  मनु विवाह आठ प्रकार मे पिशाच विवाह सेहो उल्लेख केने छैथ  I प्रेत वही दिन से हुनकर सभ तरहे प्रतिपाल / सेवा अप्रत्यझ रुपे करय छल हुनका समक्ष कोनो परेशानी नहि आबय दैन्ह . अहि से सर समाज मे हिनक चर्चा प्रेतपाल देवानंद पड़ल
" An Account Of Maithil Marriage "  जे जर्नल ऑफ़ बिहार & उड़ीसा रिसर्च सोसाइटी ,पटना वॉल्यूम III , पार्ट IV मे १९१७ मे प्रकाशित अछि   मे  मनु  द्वारा  मान्य आठ  प्रकार  विवाह    उल्लेख  अछि .
  आगू एक शाखा उजान से अवाम आईब गेलाह . बाबू भगवान दत्त झा हमर पितामह छलाह  उजान ग्रामवासी  मीमांसक पंडित योग दत्त संतति वर्तमान में जमशेदपुर में रहैत छैथ और संपर्क में छैथ