राघोपुर ड्योढ़ी , सकरी , दरभंगा एक बहुत बड़ी जमींदारी हुआ करती थी . दरभंगा के महाराज माधव सिंह जिनके नाम पर दरभंगा के मधेश्वर ( माधवेश्वर ) मंदिर परिसर है उनके एक पुत्र बाबू गोविन्द सिंह के संतान का यह ड्योढ़ी है . राष्ट्रीय आंदोलन में इनकी महती योग्यदान रहा है १९२१ में जयप्रकाश जी के स्वसुर और चम्पारण सत्याग्रह में गाँधी जी के निकटतम सहयोगी ब्रजकिशोर प्रसाद जिनकी चर्चा में गाँधी ने अपनी पुस्तक ( An Expriment Of Truth ) में पुरे एक पृष्ट में लिखे है को आर्थिक मदद देते थे . तिलक स्वदेश फण्ड में राघोपुर ड्योढ़ी के बाबू यदुनंद सिंह ने १९२१ में १००० रूपये दिए . उनके पौत्र स्व. बाबू कृष्णनंदन सिंह ने सी . ऍम . कॉलेज और चंद्रधारी संग्राहलय के निर्माण में भी योग्यदान दिए अभी भी सी . ऍम . कॉलेज के विवरणिका में उनके योग्यदान उल्लेखित है .अपने पिता बाबू हरिनंदन सिंह के नाम पर हरिनंदन सिंह स्मारक निधि द्वारा मिथिला के नामी विद्वान की पुस्तक प्रकाशित है तथा पुरष्कृत है . चेतना समिति द्वारा १९८२ में बाबू कृष्णनंदन सिंह को मैथिलि के लिए उनके योग्यदान हेतु ताम्र पत्र से सम्मानित किया गया था .अखिल भारतीय मैथिलि साहित्य परिषद , स्थापित १९३० के ये अध्यझ थे जिसमे आचार्य सुरेंद्र झा सुमन , आचार्य तंत्र नाथ झा आदि सदस्य और पदाधिकारी थे . अपने समधी डा . आदित्यनाथ झा , प्रथम उप राज्यपाल , दिल्ली के सहयोग से राघोपुर में एक सुदृढ़ पुस्तकालय संचालित की . .
वर्तमान में बाबू कृष्णनंदन सिंह के अभिन्न मिथिला के बिभूति श्रद्धेय श्री चन्द्रनाथ मिश्र अमर और उनके अनुज भ्राता ( ममेरा ) श्रद्धेय श्री रामानंद झा रमन को प्रातः स्मरण करते हुए अपने मातामह बाबू कृष्णनंदन सिंह को उनके पुण्य तिथि 15 जनवरी पर श्रद्धा सुमन अर्पित .
वर्तमान में बाबू कृष्णनंदन सिंह के अभिन्न मिथिला के बिभूति श्रद्धेय श्री चन्द्रनाथ मिश्र अमर और उनके अनुज भ्राता ( ममेरा ) श्रद्धेय श्री रामानंद झा रमन को प्रातः स्मरण करते हुए अपने मातामह बाबू कृष्णनंदन सिंह को उनके पुण्य तिथि 15 जनवरी पर श्रद्धा सुमन अर्पित .