राजकुमार जीबेश्वर सिंह , जन्म १९३० . इनके अध्यापक म . म . उमेश मिश्र थे . विदेश से अध्ययन . १९३४ के भूकंप में आनंदबाग पैलेस में बाल बाल बचे जब वे महल से सुरक्षित निकल रहे थे उसी समय महल के टावर में लगी घडी पोर्टिको के पास गिरी गयी थी . १९४१ में उनके यज्ञोपवीत संस्कार में देश - विदेश के मेहमान जुटे थे . यह आयोजन ऐतिहासिक रही थी जिसमे राजा महाराजा के साथ - साथ डा . राजेंद्र प्रसाद , डा . सर्वपल्ली राधाकृष्णन भी पधारे थे . उक्त समारोह में इन्हे दरभंगा राज के युवराज के रूप में पेश किया गया था . १९४८ में इनकी शादी राजकुशोरी जी से हुई थी जो शारदा कानून के विवाद में आ गयी . फिर तो विवाद ने उन्हें ऐसा घेरा कि राजकाज से अलग होकर अध्यात्म में लीन हो गये . करहिया ग्राम पंचायत के मुखिया और ट्रस्ट के मैनेजर श्री कांत चौधरी का ३० नवंबर १९६६ को राजनगर ट्रस्ट ऑफिस के पोर्टिको में गोली लगने से मृत्यु हो गयी . उस दिन बुधवार था और राजनगर में हाट का दिन था . राजकुमार जीबेश्वर सिंह खांकी कोट जिसके कॉलर फर का था और ऊनी पेण्ट , पावं में काला बूट और हाथ में राइफल लिए राजनगर के अपने निवास से कुछ देर पहले ट्रस्ट ऑफिस आये थे . राजकुमार पर ३०२ का मुकदमा चला और जीबेश्वर सिंह को संदेह का लाभ मिला और बरी हो गए . पटना उच्च न्यायलय ने १९७१ में अपने फैसले में May be true और Must be true के अंतर को देखा . उसके बाद दरभंगा के बांग्ला नंबर १ , गिरीन्द्र मोहन रोड में दूसरी पत्नी के साथ रहने लगे . और वहीँ उनकी मृत्यु हुई और माधवेशवर में अंतिम संस्कार हुई .