Tuesday, 16 June 2015

बिहार विधान परिषद् के १३३ वें सत्र में सर्व श्री अनिरुद्ध प्रसाद ,शकील अहमद खान ,रामजी प्रसाद शर्मा ,रामकृपाल यादव एवं राम प्रसाद सिंह , स , वि. प. द्वारा दरभंगा महाराज की मृत्यु के पश्चात् गठित ट्रस्ट द्वारा अनियमितता वरते जाने के सम्बन्ध में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जाना

श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय , दरभंगा महाराज की मृत्यु १ ओक्टुबुर १९६२ को हो गयी l उन्होंने मरने के पूर्व एक बिल किया था , जिसके अनुसार उनकी सारी संपत्ति की एक तिहाई से होनेवाली आमदनी को पब्लिक चैरिटी पर खर्च होना है , जिसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई l उक्त ट्रस्ट द्वारा स्व . महाराज की इच्छा के विपरीत पब्लिक चैरिटी के लिए सम्पति कौड़ी के मोल में बेचीं जा रही है और उसका उपयोग पब्लिक चैरिटी के अतिरिक्त अन्य कार्यों में किया जा रहा है , बिल के विरुद्ध है l उदाहरणार्थ , श्री गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी ( श्री मदन मोहन मिश्र )का आवास वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख ७ हजार प्रति कट्ठा के हिसाब से विकी है , जो की कम है और उससे ऊँची हैसियत की जमीन श्री द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन ३९ कट्ठा मात्र एक लाख , सत्रह हजार रूपये कट्ठा की दर से विक्री की गयी है , जिसका निबंधन लंबित है और खरीददार को कब्ज़ा दे दिया गया है l पब्लिक चैरिटी पर अभी तक कोई खर्च नहीं हुआ है और सारे पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है l
अतः उपर्युक्त विषय के संबंध में सरकार से सदन में स्पष्ट वक्तव्य की मांग करता हूँ l
श्री रमई राम( मंत्री ); महोदय , जिलाधिकारी , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार स्थिति इस प्रकार है :
    अंतिम दरभंगा महाराज कामेश्वर सिंह की मृत्यु दिनांक १. १०.६२ को हुई l मृत्यु के पूर्व ५.७.६१ को उन्होंने एक बसीयत बनाया था ,जिसके अनुसार तीन अनुसूचियों के अनुरूप अपनी सम्पतियों को बांटा l

 बसीयत के अनुसार १/३ हिस्सा पब्लिक चैरिटेबल परपस के लिए दिया था l

बाद में महाराज के कई परिवारिक सदस्यों ने कई मुकदमें महाराज के पैत्रिक कोर्ट ( कलकता उच्च न्यायालय ) में किये l अंततः यह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में गया और ५.१०. ८७ को फॅमिली सेटलमेंट हुआ l इस सेटलमेंट के अनुसार Resudary Estate के पब्लिक चैरिटेबल कार्य हेतु जो सम्पति रखी गयी , उसमे प्रश्नगत भूमि भी शामिल है l Resudury एस्टेट में वर्णित सम्पति की देख – भाल ट्रस्ट के द्वारा किए जाने की व्यवस्था थी l resudury एस्टेट में जो सम्पति चैरिटेबल प्रॉपर्टी के लिए रखी गयी थी , उसकी व्यवस्था महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा की जनि चाहिए थी l२५. ३. १९९२ को त्रुस्टी ने महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट और दरभंगा निबंधन कार्यालय में एक डीड कार्यान्वित किया , जिसमे ट्रस्ट का एम्स एवं ऑब्जेक्ट निर्धारित किया गया l
 l
एक ट्रस्टी श्री डी. एन . झा ने समाहर्ता को यह जानकारी दी कि इस एम्स एवं ऑब्जेक्ट के अनुसार ही लगभग ढाई – तीन माह पूर्व बंगला नंबर ५ के उच्चतम निविदादाता डा . संजय कुमार झा ने तत्काल १४.३५ लाख रूपये जमा किया l उसके अनुसार दर ९१ हजार रूपये प्रति कट्ठा है l श्री झा के अनुसार बंगला नंबर -२ के उच्चतम निविदादाता ने २ लाख ७ हजार रूपये प्रति कट्ठा दर भरा , परन्तु राशि जमा नहीं की l
इस नीलामी / बिक्री पर स्थायी रोक हेतु व्यव्याहर न्यायालय , दरभंगा में स्वत्व्वाद संख्या ५ /९९ दायर है l जिसके कारण सम्पति के निबंधन का कार्य अभी नहीं हुआ है l
डा. नीलाम्बर चौधरी : महोदय , माननीय मंत्री महोदय से मैं यह जानना चाहता हूँ की ६२ के बाद अभी तक चैरिटी ट्रस्ट में कितना पैसा जमा हुए और उसमे क्या काम हुआ ? मैं ये जानना चाहता हूँ l
श्री रमई राम (मंत्री ): हुजुर , इनके प्रस्ताव में इसकी चर्चा नहीं थी कि ६२ के बाद क्या हुआ , इसके लिए समूचा रिकॉर्ड देखना होगा ... कितनी सम्पति ..
सभापति : मूल प्रश्न जो जानना चाहते हैं माननीय सदस्य कि ...
श्री रमई राम (मंत्री ): मूल प्रश्न अभी ...
डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह : पब्लिक चैरिटी पर अभी तक जो खर्च हुआ है और महोदय .. सारा पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है l सीधा प्रश्न है l
श्री रमई राम ( मंत्री ): महोदय , आपसे आग्रह करेंगें कि यह लम्बा मामला है , इसके लिए समय चाहिए l माननीय सदस्य , जिससे कहेंगें , जाँच करायेंगें और जाँच करा कर प्रतिवेदन ...
                                                    ( व्यवधान )
 डा . महाचन्द्र प्रसाद सिंह : ये  राज्यहित में है , आपके हित में है l हमसब अनुभव कर रहे है कि इसका मिसयूज काफी हुआ है l
श्री रमई राम (मंत्री ): नहीं ,हम आपसे आग्रह करते हैं महाचंद्र बाबू , चौधरी जी से भी आग्रह करते हैं की इनसे कहिए, इसकी जाँच कराके प्रतिवेदन माननीय सभापति महोदय को सुपुर्द कर दें l
आवाजें : कब तक ?
श्री रमई राम (मंत्री ) : जब कहेंगे , तब l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय ,
श्री भोला प्रसाद सिंह : हमलोग तो आजकल कहते हैं l लेकिन दरभंगा  महाराज की सम्पतियों का  मामला जो है , ट्रस्ट का मामला है , केवल दरभंगा महाराज तक सीमित नहीं है , यह बिहार की प्रतिष्ठा , ख्याति का सम्बन्ध है l अगर उसके ट्रस्ट में ,उसकी जमीन पर यूनिवर्सिटी बनी , उसकी जमीन पर और उसकी जायदाद का जो दुरूपयोग हो रहा है , तो हर बिहारी से यह कंसर्न है l आप इसकी जाँच इनके अधिकारियों से करायेंगे या कोई एजेंसी से करायेंगे , लेकिन जाँच करा लीजिए, क्योंकि हमलोग भी सुनते हैं कि दरभंगा महाराज के पैसों का , उनकी जमींदारी की जमीन है जिसमे म्यूजियम बनवाया और भी चीज बनवाया , यूनिवर्सिटी बनवाया , काफी उसकी लूट हो रही है l इंडियन नेशन , आर्यावर्त की लूट हो रही है तो इसके लिए जरुरी है कि सम्पूर्ण ट्रस्ट की जाँच हो जय और आप यदि समझिए तो सदन की समिति से जाँच करा लीजिए l
श्री रामकृपाल यादव : मेरा भी सप्लिमेंटरी का अधिकार है l
सभापति : हाँ , बोला जाएl l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय , ऐसा लगता है कि जो मूल प्रश्न है , सर , ध्यानाकर्षण के माध्यम से , उसका खुद ही संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं , वे खुद ही एहसास कर रहे हैं l चूँकि यह राज्यहित का मामला है और किसी खास व्यक्ति का मामला नहीं है , राज्यहित का मामला है , करोड़ों – करोड़ की प्रॉपर्टी का मामला है और उसका दुरूपयोग हो रहा है , इससे राज्य का अहित हो रहा है , इसिलिय हम चाहेंगे कि माननीय मंत्री जी , चूँकि सब सदस्यों ने चिंता जाहिर की है कि इन तमाम मामलों के जो आरोप हैं , उसकी तह में जाने की जरुरत है l इन तमाम मामलों की जाँच कराने की आवश्यकता है l हम निवेदन करना चाहेंगें माननीय मंत्री से , चूँकि उन्होंने कहा है कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है , हम जाँच के लिए तैयार हैं , तो हम जानना चाहेंगें माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कि क्यों नहीं सदन की कमिटी आप बना देते ? तमाम तथ्यों की जानकारी आ जाएगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा l एक कमिटी बना दीजिए सदन की और स्वयं तैयार भी हैं माननीय मंत्री जी और मैं बिलकुल सत्य भावना से यह बात रख रहा हूँ l
श्री रमई राम ( मंत्री ) : हुजूर , मैं अपने जवाब में कह सकता हूँ कि जिला समाहर्ता , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार हमने जवाब दिया है , यह स्पष्ट हम कहते हैं l

                         ( व्यवधान )                   
                         ( व्यवधान )                      
सभापति : आप सुन लें l
श्री रमई राम ( मंत्री ): जो भी जवाब दिया है , हम उसकी चर्चा कर रहे हैं ,आप सभापति महोदय ,जो आदेश देंगें , हम उसको मानने के लिए तैयार हैं l
      ( इस अवसर पर अनेक माननीय सदस्य एक साथ बोलते रहे )
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , मैं ...
श्री भोलाप्रसाद सिंह : इसमें समिति सरकार ही बना दे l कोई जरुरी नहीं है कि अध्यझ ही बनायें , सरकार भी बना सकती है , तो सरकार ही बना दे l
सभापति : एक आदमी बोलिए न l
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , सिर्फ चैरिटी के माध्यम से पैसा खर्च नहीं किया गया है , सिर्फ एक पॉइंट की बात कर रहे हैं l इसमें माननीय सदस्यों ने लिखा है किकौड़ी के भाव में उनकी संपतियां बेचीं जा रही है , इस प्रश्न पर हमलोग नहीं आए , दूसरी तरफ उन्होंने उदहारण दिया है कि गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी के आवास वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख , सात हजार रूपए प्रति कट्ठा के हिसाब से बिकी है , जो कि कम है l दूसरा उदहारण दिया गया है कि द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन ३९ कट्ठा मात्र एक लाख , १७ हजार रूपए कट्ठा की दर से बेचीं गई है , जिसका निबंधन लंबित है l इसलिए सभापति महोदय , हम चाहते हैं कि जो इसमें मूल प्रश्न है कि इनकी सम्पतियों को कौड़ी के भाव , मतलब किसी तरह या तो निबंधन कम दाम पर कराया जा रहा है या फिर किसी को इसी तरह दे दिया जा रहा है चैरिटी शो में , पैसा नहीं जाय इसके लिए इसमें भी हमलोग , सदन जानकारी चाहती है l
डा . महाचंद्र प्रसाद सिंह : जाँच के पीरियड में निबंधन पर रोक लगे , नहीं तो बैबाद हो जाएगी सम्पति सब , तो फिर जाँच किस चीज की होगी ?
                     ( व्यवधान )
सभापति : एक मिनट l माननीय सदस्य डा . महाचंद्र सिंह ने कहा है किअगर आप इससे संतुष्ट नहीं हैं जो उत्तर आपके पास आया है , जिलाधिकारी के प्रतिवेदन के आधार पर तो इस बीच में क्या सरकार निबंधन के ऊपर प्रभावी रोक लगा देगी उस समय तक  के लिए जबतक कि इसकी पूरी जाँच न हो जाए , यह माननीय सदस्य जानना चाहते हैं l
श्री रमई राम (मंत्री ): सभापति महोदय , आपके आदेशानुसार , निदेशानुसार मैं निबंधन विभाग को लिखवा दूंगा विभाग से कि तत्काल जबतक जाँच नहीं होती है ,इसका निबंधन न किया जाए l
आवाजें : क्याकह रहे हैं ?
सभापति : नहीं , निबंधन पर रोक लगाने के बारे में सरकार ने कहा कि वे आदेश दे देंगें ताकि निबंधन इस बीच में न हो और जाँच के बारे में जो निर्णय होगा , उसके आलोक में जाँच की जाएगी l
श्री रामकृपाल यादव : माननीय मंत्री जी तैयार हैं किसी भी समय जाँच के लिए तो क्या दिक्कत है ?
                    ( व्यवधान )
श्री भोलाप्रसाद सिंह : सरकार भी समिति बनती है l मुझे भी कम से कम सुनील मुखर्जी के साथ मेंबर रहने का मौका मिला है l सरकार ही समिति बना दे l कोई जरुरी नहीं है कि सदन का अध्यझ ही समिति बनाये l
सभापति : ठीक है
                   ( व्यवधान )
सभापति : माननीय उप नेता कुछ कहना चाह रहे हैं l
श्री रामनंदन सिंह : सभापति महोदय , माननीय सदस्य शकील अहमद साहब एवं अन्य  माननीय सदस्यों ने जो ध्यानाकर्षण किया था , वे लोग अभी हैं नहीं l
श्री शकील अहमद खान ( बैठे – बैठे ) : हम हैं l
श्री रामनंदन सिंह : और माननीय मंत्री जिस समय पढ़ा गया था और माननीय मंत्री ने जवाब दिया , उसमे एक बेसिक पॉइंट जो है इसमें पूछा गया , तो कहा कि इतना नहीं है तो अच्छा होगा की १९ तारीख को जो आपने अभी उठाया है उसको छानबीन के बाद जवाब दिया जायेगा l
श्री रमई राम (मंत्री ) : नहीं , नहीं l छानबीन नहीं हो सकती है l  इतना जल्दी कैसे होगा l इसलिए आप जाँच करा लीजिये l जिससे करना है , हम तैयार हैं l
सभापति : माननीय सदस्य श्री भोलाप्रसाद सिंह ने एक प्रस्ताव दिया कि सरकार इस विषय को गम्भीरता को देखते हुए सम्पति का दुरूपयोग नहीं हो , नाजायज उसका उपयोग न हो , इसके लिए सरकार स्वयं एक समिति विधिवत गठित कर दे और उसमे सरकार अगर चाहे तो जनप्रतिनिधियों को भी शामिल कर सकती है l क्या सरकार ऐसा निर्णय लेगी ?
श्री रमई राम ( मंत्री ) : महोदय , मैं पहले ही कह चूका हूँ कि आसन का जो निर्देश होगा उसमे माननीय सदस्य है , चौधरीजी भी रहेंगें l
श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय सरकार तो हमारे मुख्यमंत्री जी है ...
                    ( व्यवधान )
श्री शकील अहमद खान : महोदय , आसन का निर्देश हो जाय l
सभापति : सरकार इस मामले में उच्च अधिकार प्राप्त एक समिति का गठन करे जो एक महीने के अन्दर जाँच प्रतिवेदन अपना सरकार को समर्पित करे l   

क्या सरकार ने उच्च अधिकार समिति गठन की ? क्या समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी ?क्या जाँच के दौरान भूमि के निबंधन पर रोक लगी ?  जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ...... 

Monday, 15 June 2015

कैसे मिली मिथिला यूनिवर्सिटी को दरभंगा राज का मुख्यालय

१९७५ आपातकाल का समय दरभंगा के जिलाधिकारी ने डी आई आर के तहत दरभंगा राज के हेड ऑफिस पर कब्ज़ा कर लिया . महाराजा के विल के एक्सकुएटर पंडित लक्ष्मी कान्त झा ने इसके खिलाफ माननीय पटना उच्चन्यायालय में एक याचिका दाखिल की .फिर सरकार से हुई समझौता और कुछ लाख रूपये में दे दी सैकड़ों एकड़ जमीन – भवन ,महारानी ने भी राजकुमार शुभेश्वर सिंह के सहयोग से  बेच दी अपना महल नरगोना और संलग्न बगीचा .....
जिलाधिकारी ,दरभंगा के आदेश संख्या १८३५ /एल  दिनांक १६.८. ७५ के द्वारा एक्सेकूटर लक्ष्मी कान्त झा को डिफेन्स ऑफ़ इंडिया रूल १९७१ के सुसंगत प्रावधान के आलोक में दरभंगा राज के भवन एवं भूमि अधिगृहित करने की सूचना दी गयी जिसके खिलाफ पंडित लाक्स्मिकांत झा ने माननीय पटना उच्च न्यायालय में सी . डब्लू .जे . सी . नंबर १७८६ /७५ दाखिल की . वाद के निपटारा से पूर्व हीं बिहार सरकार और दरभंगा राज के बीच समझौता हुई और जिलाधिकारी के आदेश और उक्त वाद को वापस ले लिया गया और १२.९.१९७५ को हुई इस समझौता के आलोक में १३३ एकड़ भूमि और भवन विस्वविद्यालय हेतु दी गयी . महारानी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी लि . द्वारा दी गयी जमीन इसके अतिरिक्त है उक्त समझौता कमिश्नर ,शिझा विभाग,बिहार सरकार  और लक्ष्मीकांत झा के बीच हुई जिसपर इनदोनो के अतिरिक्त राजकुमार शुभेश्वर सिंह , रामेश्वर ठाकुर और द्वारिका नाथ झा के दस्तखत हैं, में तत्काल यूनिवर्सिटी को ५७ बीघा जमीन जिसमे राज हेड ऑफिस का अगला पूरा हिस्सा और पीछे का कुछ हिस्सा ,यूरोपियन गेस्ट हाउस ,आगे का फील्ड और मोतीमहल एरिया दी गयी और तत्काल १० लाख रुपया राज को देने की बात थी और शेष जमीन और भवन को भूमि अधिग्रहण कानून के तहत अधिग्रहण करने की बात थी .राज पुस्तकालय की करीब ६०  हजार दुर्लभ पुस्तक उपहार में राज द्वारा यूनिवर्सिटी को दी गयी .महारानी द्वारा ६० एकड़ जमीन बगीचा सहित नरगोना पैलेस दी गयी और दरभंगा हाउस प्रॉपर्टी ने  ६ बीघा  जमीन जिसमे गिरीन्द्र मोहन रोड स्थित बंगला नो .११ मात्र ६ .५१  लाख रूपये में यूनिवर्सिटी को दी गयी...क्या  यूनिवर्सिटी को शेष  भूमि भू अर्जन के तहत हुई या नहीं ?.जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ..
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फॅमिली सेटल्मेंट के तहत schedule IV और V किसी की निजी सम्पति नहीं है जो निम्न है --
       १. न्यूज़ पेपर & पब्लिकेशन लि. का ५००० शेयर
        २. राज हॉस्पिटल कंपाउंड एरिया , दरभंगा

         ३.दरभंगा के गिरीन्द्र मोहन रोड स्थित बंगला नंबर २ और ५  और ८ जिसका कुल रकवा ५  बीघा १६ कठा मकान सहित
        ४. ४२ /१ , ४२ A & ४२ B चौरंगी रोड , कोलकाता
         ५. ५६ राधा बाज़ार स्ट्रीट , कोलकाता
          ६. वाल्फोर्ड ट्रांसपोर्ट ( E. I.)
           ७ . डेनवी रोड स्थित  क्वार्टर ( इ टाइप के २० और २७ नंबर को छोड़ कर )
           ८. मधुबनी स्थित भौड़ा गढ़ी
            ९. मुजफ्फरपुर लीज होल्ड
             १० . रांची की जमीन
              ११. कन्ह्याजी कोठी ,आनंदबाग  के  पीछे रकवा २ बीघा १० कठा
                १२. मोसद्दी लेन , दिवानिताकिया  और कैदराबाद
              १३. सोती लाइन के उत्तर से ४ क्वार्टर
               १४. तालाब - दिवानिताकिया , बलभद्रपुर , सागरपुर , नीम सागर , बेला टैंक ,अल्हुअपोखर, बाबूलाल                      वाला पोखर  
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                              उपरोक्त सम्पतियों में अधिकांश बेच दी गयी है वा कब्ज़ा दे दिया गया है . चूँकि यह ट्रस्ट की सम्पति है अतः इसकी जाँच होनी चाहिए ताकि  महाराजा के अंतिम विल के अनुरूप जन कल्याण के कार्य में इसका उपयोग हो सके और ट्रस्ट की सम्पति के साथ  अनियमितता ,लूट बंद हो .

Tuesday, 9 June 2015

ESTATE OF LATE MAHARAJADHIRAJA SIR KAMESHWAR SINGH OF DARBHANGA AS PER FAMILY SETLEMENT 1987

                                                   SCHEDULE --1
Statement showing estimated value of immovable & Movable Properties of the Estate of Late Maharajadhiraja Dr. Sir Kameshwara Singh of Darbhanga.
 Ptroperties located outside Darbhanga
 1. 42 Chowringhee , Calcutta
2. 5G Radhabazar Street
3. Varanasi - Darbhanha Palace, Nilkanth, Rani Kotha ,Mirghat ,Gomath, Manikarnika Land
4. Allahabad - 22 Chathem line, Darbhanga Castle
5. Baidyanath Dham -Land near Shivganga Tank & Salona
6. Ranchi Land
7. Muzaffarpur vLease Hold
8. Madhubani  Bhoara Palace
9. Kamakhya Hill, Assam
10. Mofassil Quartar in Circles.
Properties located at Darbhanga
1. Rambagh Compound Area ( about 54 Bighas )
   Note-- The above mentioned area within Rambagh compound is exclusive of the following:--
   a. Residential House known as Rambagh Palace ( with some adjoining land ) in which Maharani Rajylakhmi resided and which vested absolutely as per terms of the WILL in Kumar Subheshwar Singh after the demise of the said Maharani in 1976
   b. Under Kameshwara Religious Trust namely Kankali Mandir, Hari Mandir , Devi Mandir , Gsauni Ghar.
    c. One Tank and One Temple of Lakshmipur Trust.
     d.  Rameshwara Singh Regional Archive ( gifted to Govt. of Bihar )
 2. Hospital Area ( about 12 Bighas )
 3. A Type Bunglows On G. M. Road
  4. B type Quarters 1 to 4.
 5. C type quartes 1 to 6., Danby Road
  6. D type Quarters 7 to 14., Danby Road
 7. E type Quarters 14
 8. F type Quarters 15 Single Room - Twin quarters
  9. G type 6 Tiled House Jt.
10. Kanhyaji Kothi
11.Moment's Quarter
 12. Kabraghat House
13. Murari House
14. Ramkrishna Babu
15. Old S. Boarding House
16. 4 Quarters North of Soti Lines.
17. Land Kameshwara Market - Rly Station
18. Mosaddi Lane , Diwani takia
19. Mosaddi Lane at Kaidrabad
20. Land & Structures to Cold Storage (P) Ltd.
21. Tank- Sagarpur, Nim Sagar, Babulalwaia, Alhuapokhar, Bela Tank, Kabraghat, Diwani takia Balbhadarpur-L. sarai.
MOVEBLES
 Jewellery, Gold Cut Coins ,Time Piece & Watches.including 3 Diamonds Buttons ,Habib Gold Coins , Belgium Gel Coins , Cuff Link Pairs .
Shares & Securities Raj Controlled Copanies
  News Paper & Publication Ltd, Walfords , Darbhanga Laheriasarai Electric Supply Corporation Ltd, Darbhanga Investments, Darbhanga Properties, Darbhanga Cold Storage , Darbhanga Dairy , E. N. G. Co., Darbhanga Press, Darbhanga Sugar , Darbhanga Construction, Darbhanga Industries, Thacker Spink & Co., Park Acceptance.
 OTHERS MARKETABLE & IN LIQUIDATION:-
Rameshwar Jute , Telco, G.K.W., Indian Iron , Ashk Paper, Clibe Mills, Hindustan Bicycle, Indian Machinary, Press Syndicate, Newspaper Allahabad , Richardson & Crudas, Khas Karanpura, Buduan Elec.
 Security Account
 Elgin MIll, Titaghar


Schedule--II( Maharanidhirani Kamsundari Saheba )
Schedule-III (Sriman Rajeshwara Singh & Sriman Kapleshwara Singh)
Schedule-IV ( Kameshwara Singh Public Charitable Trust )
Schedule -V ( Katyayni Dai, , Dibyayani Dai, Sriman Ratneshwara Singh,, Rashmeshwara Singh,      Sriman Rajneshwara Singh,Smt. Netyayani Dai, Chetana Dai, Draupadi Dai, Anita Dai, Sunita Dai.
Schedule _ VI Properties earmarked for sale for payment of Liabilities.

Monday, 1 June 2015

महाराजा कामेश्वर सिंह के बाद दरभंगा राज का पतन

महाराजा डा . सर कामेश्वर सिंह,सांसद (राज्यसभा )  दुर्गा पूजा  के अवसर  पर  अपने    निवास  दरभंगा हाउस  . मिड्लटन  स्ट्रीट ,कोल्कता  से  अपने  रेलवे  सैलून  से  नरगोना  स्थित  अपने रेलवे  टर्मिनल  पर  कुछ  दिन  पूर्व  उतरे  थे  . १ अक्टुबर १९६२ आश्विन  शुक्ल  तृतीया  २०१९  को  नरगोना  पैलेस  के  अपने  सूट  के  बाथरूम  के   नहाने  के  टब  में  मृत  पाये  गए ।  आनन फानन  में  माधवेश्वर  में  इनका दाह संस्कार दोनों महारानी की उपस्थिति में  कर दिया  गया।बड़ी महारानी को देहांत की सुचना मिलने पर अंतिम दर्शन के लिए सीधे शमशान पहुंचना पड़ा था .  महाराजा कामेश्वर सिंह को संतान नहीं था .इनके उतराधिकार को लेकर उनके कुछ प्रिय व्यक्तियों के मन में आशा थी उनमे छोटी महारानी जो महाराजा के साथ रहती थी और महाराजा के भगिना श्री कन्हैया जी झा जो इंडियन नेशन प्रेस के मैनेजिंग डायरेक्टर थे प्रमुख थे .राजकुमार  शुभेश्वर सिंह और  राजकुमार  यजनेश्वर  सिंह  वसीयत  लिखे जाने के समय  नाबालिक  थे  और  उनकी  शादी  नहीं हुई थी सबसे  बड़े  राजकुमार  जीवेश्वर सिंह  की  दूसरी  शादी  नहीं  हुई थी . शायद महाराजा को अपनी मृत्यु की अंदेशा था l  मृत्यु  से पूर्व ५ जुलाई १९६१ को    कोलकाता  में  इन्होने  अपनी   अंतिम वसीयत  की  थी  जिसके  एक  गवाह  पं.द्वारिका नाथ झा  थे जो  महाराज के ममेरा भाई थे और  दरभंगा  एविएशन ,कोलकाता  में मैनेजर  थे l मृत्यु का समाचार मिलने पर वे कोलकाता से दरभंगा पहुंचे और वसीयत के प्रोबेट कराने की प्रक्रिया शरू करवा दी lकोलकाता  उच्च न्यायालय द्वारा वसीयत  सितम्बर १९६३ को  प्रोबेट  हुई  और  पं. लक्ष्मी कान्त झा , अधिवक्ता  ,माननीय  उच्चतम न्यायालय ,पूर्व मुख्यन्यायाधीश पटना हाई कोर्ट ग्राम – बलिया ,थाना – मधुबनी पिता पंडित अजीब झा  वसीयत के एकमात्र  एक्सकुटर  बने और एक्सेकुटर के  सचिव बने पंडित द्वारिकानाथ झा l वसियत के अनुसार   दोनों  महारानी  के जिन्दा  रहने तक  संपत्ति  का  देखभाल  ट्रस्ट  के अधीन  रहेगा और दोनों महारानी के स्वर्गवाशी होने के बाद संपत्ति को तीन हिस्सा में बाँटने जिसमे एक हिस्सा दरभंगा के जनता के कल्याणार्थ देने और शेष हिस्सा महाराज के छोटे भाई राजबहादुर विशेश्वर सिंह जो स्वर्गवाशी हो चुके थे के पुत्र  राजकुमार जीवेश्वर सिंह ,राजकुमार यजनेश्वर सिंह और राजकुमार शुभेश्वर सिंह के  अपने ब्राह्मण  पत्नी से उत्पन्न संतानों के बीच वितरित किया जाने का  प्रावधान था l दोनों महारानी को रहने के लिए  एक – एक महल ,जेवर –कार और कुछ संपत्ति मात्र उपभोग के लिए और दरभंगा राज से प्रति माह कुछ हजार रूपये माहवारी खर्च देने का प्रावधान था .
l  पंडित  लक्ष्मीकांत  झा  वसीयत के एक मात्र  ,एक्सेक्यूटर  बहाल  हुए और  ओझा  मुकुंद झा  जो  महाराज  के  बहिनोय   (  बहन के पति )थे  ट्रस्टी और  तीसरे  ट्रस्टी  पंडित  गिरीन्द्र  मोहन  मिश्र  हुए जो महाराज के सलाहकार थे और पक्के कांग्रेसी थे . हुए l  गौरतलब  है  कि  एक  श्रोत्रिय , एक जैवार  और एक  शाकलदीपी  मैथिल  ब्राह्मण ट्रस्टी  थे । ये तीनो ट्रस्टी महाराजा से उम्र में बड़े थे तो क्या महाराजा को अपने मौत का आभास था ? दरभंगा  राज  के  जनरल मेनेजर मि. डेनवी के समय रहे असिस्टेंट मेनेजर   पं.  दुर्गानन्द  झा के जिम्मे दरभंगा राज का प्रबंध था l वे  राजमाता साहेब के फूलतोड़ा के पुत्र थे और महाराज के बचपन के मित्र थे वे उस ज़माने के स्नातक थे और   पंडित  द्वारिका नाथ  झा ,महाराज के ममेरे भाई एक्सेक्यूटर के सचिव   मनोनीत हो गये और कोलकाता से आकर गिरीन्द्र मोहन रोड के बंगला नंबर ५ में अपने मामा पं.यदु दत्त झा जो दरभंगा राज के अनुभवी और दझ पदाधिकारी थे जिन्हें मिस्टर देनबी ने अपने बाद जनरल मेनेजर के लिए अनुशंसा की थी जिनका उल्लेख १९३४ के भूकंप में राहत कार्यक्रम में कुमार गंगानंद सिंह ने की है ,के बगल के बंगला में रहने लगे l  दरभंगा  राज का   क्रियाकलाप महाराजा के मृत्यु के बाद  मुख्यतः  लक्ष्मीकांत  झा जो बिहार के महाधिवक्ता से सीधे पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने थे  और  दुर्गानन्द  झा  और   पंडित  द्वारिका  नाथ  झा  के  इर्द -गिर्द  था  l 
सबसे  पहले  तीनो  राजकुमार ( महाराजा  के भतीजा ) ने  बेला  पैलेस सहित ८० एकड़  का  १९६८ में  सौदा  किया  और  दरभंगा  में बिना  आवास के  हो गए।  बड़ी  महारानी  राजलक्ष्मी  जी  ने सबसे  छोटे  राजकुमार  शुभेस्वर  सिंह   घर  का नाम  शुभु  को  अपने  रामबाग   में  रखा  , वसियत के अनुसार बड़ी महारानी राजलक्ष्मी जी के मृत्यु के बाद उनके महल पर राजकुमार शुभेश्वर सिंह का स्वामित्व होगा . बड़े  कुमार  जीवेश्वर सिंह घर  का नाम  बेबी   राजनगर  रहने  लगे और  उनकी  बड़ी  पत्नी  राजकिशोरी  जी  अपनी  दोनों  बेटी  के  साथ  और  मझले  राजकुमार  यजनेश्वर  सिंह  घर का नाम  जुग्गु  अपने  परिवार  के साथ  यूरोपियन  गेस्ट  हाउस   ऊपरी मंजिल पर  उत्तर  और दझिण  भाग  में   आ  गए। बेला  पैलेस  के सौदा होने के कालखंड में मार्च १९६७ में ९२ लाख रूपये में राज ट्रेज़री का गहने और जवाहरात की  नीलामी डेथ ड्यूटी चुकाने के लिए हुई  जिसमे  मशहुर Marie Antoinettee हार , धोलपुर क्राउन , नेपाली हार, और हीरे – जवाहरात थे. जिसे  बॉम्बे  के  नानुभाई  जौहरी   ने  खरीदा l  बाम्बे  के गोरेगांव  में  नानूभाई  की  नीरलोन नाम  की  कंपनी भी  है .   उसके  बाद  ४५ लाख में  रामेश्वर  जूट मील , मुक्तापुर  बिडला  के हाथ  ,फिर  वाल्फोर्ड ट्रांसपोर्ट कंपनी ,कोलकाता डेविड के हाथ , दरभंगा हवाई अड्डा केंद्र सरकार ने ले ली , सुगर  फैक्ट्री लोहट और सकरी ,अशोक पेपर मील,हायाघाट , दरभंगा - लहेरियासराय इलेक्ट्रिक सप्लाई  बिहार सरकार ने .विश्राम कोठी ,दरभंगा और बॉम्बे का पेद्दर रोड ,इनकम टैक्स के हाथ , दरभंगा हाउस शिमला , दरभंगा हाउस दिल्ली सेंट्रल गवर्नमेंट को , रांची का दरभंगा हाउस सेंट्रल कोल् फील्ड लिमिटेड को ,  फिर  नरगोना  पैलेस , राज हेड ऑफिस , यूरोपियन गेस्ट हाउस , मोतीमहल ,राज फील्ड ,राज प्रेस ,देनवी कोठी ,लालबाग गेस्ट हाउस ,बंगलो नो. ६ और ११ ,राज अस्तबल ,श्रोत्रि लाइन , सहित सैकड़ों एकड़ जमीन  मिथिला विश्वविद्यालय को ,  रेल ट्रैक और  सलून ,वाटर  बोट  , बग्घी ,फर्नीचर  ,कार रोल्स रायस- बेंटली – बियुक –पेकार्ड –शेवेर्लेट – प्लायमौथ – ५० एच् . पी जॉर्ज V बॉडी आदि l  बड़ी महारानी के १९७६ में देहांत होने और १९७८ में पंडित लक्ष्मी कान्त झा के देहांत के बाद दरभंगा राज का कार्य ट्रस्ट के अधीन हो गया .श्री मदनमोहन मिश्र ( गिरीन्द्र मोहन मिश्र के बड़े पुत्र ) ,श्री द्वारिका नाथ झा और श्री दुर्गानंद झा तीनो ट्रस्टी के अधीन .फिर श्री दुर्गानंद झा के देहांत के बाद १९८३ के आसपास  श्री गोविन्द मोहन मिश्र ट्रस्टी बने और फिर उनके स्थान पर श्री कामनाथ झा ट्रस्टी बने l राजकुमार शुभेश्वर सिंह १९६५ के आसपास दरभंगा राज के मामले में सक्रिय हो गये थे उन्हें रामेश्वर जूट मिल ,फिर सुगर कंपनी और न्यूज़ पेपर & पब्लिकेशन लिमिटेड का जिम्मेवारी मिली . सबसे बड़े राजकुमार जीवेश्वर सिंह  राजनगर ट्रस्ट के एकमात्र ट्रस्टी रहे दरभंगा राज के मामले में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं था ,राजनगर से वे गिरीन्द्र मोहन मिश्र के बाद बंगला नंबर १ ,गिरीन्द्र मोहन रोड में अपने दूसरी पत्नी और ५ पुत्री के साथ रहने लगे . स्व . महाराजाधिराज के तथाकथित परिवार के सदस्यों ने माननीय उच्चतम न्यायालय में एक फॅमिली सेटलमेंट नो . १७४०६ -०७ ऑफ़  १९८७ में  फॅमिली सेटलमेंट हुआ .जिसमे महाराजा के वसीयत के विपरीत छोटी महारानी के जिन्दा रहते  कुल संपत्ति का एक चौथैय हिस्सा पब्लिक चैरिटी को मिला और १/४ छोटी महारानी ,१/४  राजकुमार शुभेश्वर सिंह और उनके दोनों पुत्र को और १/४ में मंझले राजकुमार के पुत्रों और बड़े राजकुमार के ७ पुत्रियों को मिला . इंडियन नेशन प्रेस ( न्यूज़ पेपर & पब्लिकेशन लि,) ४२ चौरंगी (कलकत्ता ) अब  रामबाग  की अधिकांश जमीन  भी  बिक  गयी   है सबसे पहले दिलखुश बाग   का एरिया बिका फिर सिंह द्वार के समीप  और सुनने में है कि मधुबनी स्थित भौरा गढ़ी का भी डील हो गया है और तालाब भरने का कार्य जारी है .राजकुमार  जीवेश्वर सिंह की प्रथम पत्नी लहेरियासराय में और दूसरी यानि छोटी पत्नी बंगला नो. १ , गिरीन्द्र मोहन  रोड में रहती है .जीवेश्वर सिंह स्वर्ग्वाशी हो चुके हैं मंझले राजकुमार  अभी बंगला नो.९ गिरीन्द्र मोहन रोड में पत्नी के साथ रहते है और बीमार हैं  ,राजकुमार  यजनेश्वर  सिंह  को तीन पुत्र जिसमे मंझले का दिल्ली में देहांत हो गया शेष दोनों पुत्र से संतान अभी नहीं हैं  व अपनी पत्नी के साथ बंगला न. ९ ,गिरीन्द्र मोहन रोड में  रहते हैं .,राजकुमार शुभेश्वर सिंह को  दो पुत्र हैं बड़ा अमेरिका में रहते है और छोटा  दिल्ली में रहते हैं और दरभंगा प्रवास  में रामबाग में  , श्री शुभेश्वर सिंह का देहांत उनके पत्नी के देहवसान के कुछ वर्षों बाद  दिल्ली में अपने आवास पर  हो गया . गिरीन्द मोहन रोड के बंगला नंबर  २ और  ५ तथा  न्यूज़  पेपर  & पब्लिकेशन  लि. में  ५ लाख  का  शेयर  और  १८ लाख  २५ हजार  रूपये  कैश   पब्लिक चैरिटी का था   . अब पब्लिक चैरिटी का  महाराजा कामेश्वर सिंह मेमोरियल हॉस्पिटल  की  करीब १० बीघा  जमीन और मकान शेष बचे हैं जिसके एक छोटे हिस्सा में अस्पताल चलता है  .राजनगर के मंदिरों में पूजा –पाठ ,भोग के लिए १९२९ में महारजा कामेश्वर सिंह ने एक ट्रस्ट और भवनों के देख रेख के लिए एक ट्रस्ट बनाया जिसके निमित दर्शाए गये सम्पति के आय से इसकी देखरेख का प्रावधान है जिसे बेचने का अधिकार किसी को नहीं दी गयी . इसीतरह १०८ मंदिरों के लिए ट्रस्ट और सीताराम ट्रस्ट  है .छोटी महारानी महाराजा के बाद अधिकांस समय दरभंगा हाउस केंद्र सरकार द्वारा लेने के बाद उससे सटे आउट हाउस में दिल्ली में रहने लगी और दरभंगा आने पर  नरगोना पैलेस में . १९८० के आसपास से   नरगोना कैंपस में बेला पैलेस के सामने नवनिर्मित कल्याणी हाउस में आने पर   रहती हैं. १९९० से अधिक समय दरभंगा में रहने लगीं है  और दरभंगा रिलीजियस ट्रस्ट जिसके अधीन १०८ मंदिर है और सीताराम ट्रस्ट जिसके अधीन वनारस के बांस फाटक  ,गोदोलिया चौक के नजदीक राममंदिर आता है के एकमात्र ट्रस्टी हैं  उक्त मंदिर के गेट के समीप कुछ अंश जमीन  की बिक्री कर दी गयी है .इनसे पूर्व बड़ी महारानी राजलक्ष्मी जी इसके ट्रस्टी थीं.राजलक्ष्मी जी ने महाराज कामेश्वर सिंह के चिता पर माधवेश्वर में मंदिर का निर्माण करवायी थी .छोटी महारानी कामसुन्दरी जी महाराज कामेश्वर सिंह कल्याणी ट्रस्ट बनवायी जिसके  तहत किताबों का प्रकाशन ,महाराजा कामेश्वर सिंह जयंती आदि कराती हैं .पंडित दुर्गानंद झा ,मेनेजर के ट्रस्टी बनने के बाद  श्री केशव मोहन ठाकुर ,पूर्व  IAS की नियुक्ति हुई और उनके  बाद दरभंगा राज के एक  पदाधिकारी श्री मित्रा और फिर श्री बुधिकर झा मेनेजर रहे .अभी महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट के तीन ट्रस्टी श्री उदयनाथ झा ( महारानी के बड़ी बहन का लड़का ) जो महारानी के प्रतिनिधि हैं  और राजकुमार शुभेश्वर सिंह के दोनों पुत्र हैं  दरअसल पब्लिक चैरिटेबल  ट्रस्ट में ६ और  ट्रस्टी बनाने का  प्रावधान  है . ओझा मुकुंद झा के एकमात्र पुत्र कन्हया जी झा का देहांत उनके समय हीं हो गया था .कन्हया जी इंडियन नेशन प्रेस के मैनेजिंग डायरेक्टर थे उनके बाद राजकुमार शुभेश्वर सिंह मैनेजिंग डायरेक्टर बने .ओझा मुकुंद झा अपना दरभंगा स्थित सारामोहनपुर हाउस मिथिला विश्वविद्यालय के स्थापना के समय दिए थे वे खुद कन्ह्याजी कोठी जो लक्ष्मीश्वर विलास के पीछे है में रहते थे , उन्होंने जनकल्याण ट्रस्ट बनाये और अपना अधिकांश सम्पति दान कर दी .पंडित द्वारिका नाथ झा गिरीन्द्र मोहन रोड के बंगला  नंबर ५ में और पंडित दुर्गानंद झा बंगला नंबर ८ में , श्री मदनमोहन मिश्र बंगला नंबर २ में उक्त तीनो  बंगला पब्लिक चैरिटी के हिस्से में था ,बंगला नंबर ३ महारानी के  और बंगला नंबर ४ राजकुमार शुभेश्वर सिंह के संतान के हिस्से में आया .जिसमे सभी बिक गये है मात्र बंगला नंबर ४ का मुख्य मकान बचा है .दरभंगा राज का पतन महाराजा के देहांत के ४-५ साल के बाद शरू हुआ जो ७५-७६ तक अधोगति को प्राप्त हो गया .८९-९० में इंडियन नेशन और आर्यावर्त समाचार के प्रकाशन बंद होना दरभंगा राज के ताबूत में अंतिम कील माना जायेगा हालाँकि १९९५ में किसी तरह इसका प्रकाशन प्रारम्भ भी की गयी लेकिन वह टिक नहीं पाया .