Tuesday, 22 September 2015

दरभंगा क पुनर्निर्माण



          
 इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट स्कीम क क्षेत्र से राज क महल आ राज क मकान आ  इलाका बाहर राखल गेल   l राजक एरिया क स्कीम क तहत पुनर्निर्माण क जिम्मा राज स्वयं लेलक  अओर बहुत् रास जमीन मुह्मांगा दाम  पर खरीद के  निश्चित योजना क अनुरूप दरभंगा राज अपन श्रोत से पुनर्निर्माण शरू केलक l १९३४ क  भूकंप क ढेढ़ साल क भितर बरबादी क चिन्ह मिटा देल गेल l मलबा हटा देल गेल जहि से करीब १०००० टका प्राप्त भेल रहे आ सुन्नर बंगला , आवास आ सड़क स वो एरिया  खिल उठल l  एकर श्रेय मुख्यतः संवेदक के अछि जे हुनका सुपुर्द देल गेल काज के तत्परता आ सम्पूर्णता क संग  पूरा करवा मे कोनो कोर कसेर नहि रखलैत  l
पुरना  नरगोना क जगह पर  इंग्लैंड क कंपनी मैकिनटोश बर्न नव महल  बनौलक जे  तागतवर कंक्रीट  निर्माण क  अंतिम शब्द अछि  l  एकरा सोम्य मुदा  कलात्मक रूप मे सजौल गेल आ आइ तक क हिसाब से सब उपकरण  लगौल गेल l  अधिकांश फर्नीचर कलिम्पोंग आर्ट्स आ क्राफ्ट्स से आपूर्ती भेल l विद्दुत क सब सामान जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी ,इंग्लैंड क द्वारा कैल गेल l कोठली क रंग रोगन स्कीम शानदार अछि आ महल क हरेक कोन आधुनिकता क मोहर अछि l आराम आ सफाई एकर विशिष्ट खूबी अछि l हर कोठली शीत नियंत्रित l महल क भवन क भीतर तरणताल !लिफ्ट क सुविधा l  
  नव राजक   मुख्यालय भवन (वर्तमान मे ल. ना. मिथिला विश्वविदयालय क मुख्यालय)  बहुत पैग संरचना जेकर बनबे क  श्रेय फेर  मेसर्स मैकिनटोश बर्न के जायत अछि l राज क काज –व्यापार के सुभिधापूर्ण आ दझता से चलेवाक लेल सब एक जगह केन्द्रित l कोषागार आ रिकॉर्ड रूम के सुरक्षl आ ढंग से   सावधानीपूर्वक नियोजित l मुख्यालय भवन क सामने उद्यान मे तीन ता संगमरमर क मान्छ क मुंह से निकलैत पानि क फब्बारा अहि भवन क शोभा के अतुलनीय क देलक l
      राज मुख्यालय मुख्य मार्ग पर स्थित १९ वीं शदी मे इंग्लैंड क वास्तुविद क बनौल महल आनंदबाग महल वर्तमान मे कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय  मे कोनो बदलाव नहि कायल गेल ओकर पुरना स्वरुप यथावत राखल गेल l एकर टावर लंदन क बिगबेन क तर्ज पर अहि महल मे लिफ्ट क सुविधा सेहो छल l  
वोहिना रामबाग महल क स्वरुप भूकंप से  पहुलके जेना राखल गेल l
 कंकाली मंदिर दिल्ली क सरदार इन्द्रजीत सिंह द्वारा पुरने नक्शा क अनुरूप निर्मित भेल l
राज पुस्तकालय भवन ब्रिटानिया बिल्डिंग्स द्वारा बनौल गेल जेकर एक निदेशक श्री बामा प्रसाद मुकर्जी जे प्रख्यात शिझाविद सर आसुतोष मुकर्जी क पुत्र छैथ वो बहुत बेसी व्यक्तिगत अभिरुचि एकर निर्माण में लेलैथ l
 सनातन पंथी हिन्दू अतिथि के जरुरत से मेल खायत गेस्ट हाउस जे विश्राम कुटीर कहैत अछि , क  निर्माण करौल गेल l
पूरा हराही , कहियो सबसे गलीच क्वार्टर छल आब राजक पदाधिकारी आ कर्मचारी क  सुन्नर आवास से पूर्ण अछि    टीशन से महल क सैर नव निर्मित  गिरीन्द्र मोहन पथ से भ के या डेनबी पथ केकरो अचरज आ प्रशंषा से भरि देत  जहि हद तक सम्पूर्णता से काज पूरा भेल l
   राज इलाका क सबसे नव जोड़ रामेश्वर प्लेस अछि जे चौरंगी क नाम से जानल जायत अछि l एकर  .डिजाईन कर्नल टेम्पल आ निर्माण मैकिनटोश बर्न केलैथ l एकर मध्य मे बिहार क निर्माता मे एक  स्व . महाराजाधिराज रामेश्वर सिंह क संगमरमर क आदमकद मूर्ति क अनावरण ३० नवम्बर १९३५ क भारत क वाइसराय आ गवर्नर जनरल क  हाथ से संपन्न भेल l एकर चारू कात घुमावदार सीमेंट क बेंच लोक के बैसवाक लेल घर  बनल अछि आ अहिठाम से चारू दिशा मे चारि टा पथ निकलैत अछि पूब किला ,पछिम माधवेश्वर ,दखिन राज मुख्यालय ,आनंदबाग आ उतर दिश राज हस्पताल जेकर भवन क शिलान्यास भारत क  वाइसराय आ गवर्नर –जनरल द्वारा सेहो एके दिन भेल .अहि हस्पताल क भवन क उद्घाटन १२ दिसम्बर १९३६ क बिहार  क महामहिम राज्यपाल  मिस्टर जेम्स डेविड सिफ्टन द्वारा संपन्न भेल l एकर निर्माण मेसर्स मार्टिन & कंपनी , कोलकाता द्वारा कायल गेल l
बेला पैलेस( वर्तमान मे पोस्टल एंड ट्रेनिंग सेंटर)  क नाम से मशहूर  महल क निर्माण महाराजाधिराज क भाई  राजा बहादुर विशेश्वर सिंह क लेल  भेल अहि  महल क प्रांगन म  बाघ क  घर सेहो  सड़क कात से बनौल गेल  चूँकि राजा बहादुर बाघ  पोसवाक शौखिन  सेहो छला lओहि महल मे खुबसूरत ऑडिटोरियम सेहो अछि l    
रामेश्वरी लता संस्कृत विद्यालय भवन  जे हराही क उत्तर स्थित अछि के नव निर्माण सेहो करौल गेल l  
दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा दभंगा टावर क नजदीक गोल मार्केट क निर्माण भेल जहि मे जाय लेल चारू दिश से पथ  बनल आ मध्य मे पोखैर आ पार्क जे दिल्ली क कनाट प्लेस से कम नहि छल l
मिर्जापुर स्थित महारानीअधिरानी कामेश्वरी प्रिया पुअर होम क शिलान्यास ७ फ़रवरी १९४१ के महामहिम राज्यपाल ,बिहार क द्वारा भेल l                          
सब बिना एको अपवाद के भुकम्ररोधी बनल आ आधुनिक शहर क अनुरूप बनल l

Friday, 11 September 2015

बिहार क भूकंप
                          अओर
                  दरभंगा राज

      


                                                              अनुवादक

                                                       रमन दत्त झा 







इतिहास सर्वोतम श्रोत अछि   ज्ञान के  l १९३४ क भूकंप एखनो याद द जायत अछि जेकर भरपाई नहि भ सकल l बिहार क सबसे भयंकर प्रलय मानल जायत अछि १९३४ क भूकंप जे  मिथिला के  भौगोलिक  रूप से दू फाँक मे क देलक वो त भाषा छल जे दुनु भाग के एक केने रहल  l  निर्मली-  भपटियाही रेल मार्ग ध्वस्त भ गेल जे एखन तक बनौल नहि जा सकल ,गोपालपुर घाट पूर्णिया राजमार्ग नहि रहल गुलाब बाग मंडी प्रभावित भेल  l  दरभंगा , मधुबनी क रेल आ सड़क सम्बन्ध सहरसा ,मधेपुरा ,सुपौल ,पूर्णिया ,कटिहार ,किसनगंज से तुइत गेल जेकर प्रभाव सोराठ सभा पर सेहो पडल lमिथिलाक वो भाग नजदिको रहयत दूर भ गेल l  कोशी क शोक कहि के  एतेक  प्रचारित भेल जे लोक बिसैर गेला जे वोहि झेत्र क अवनातिक मुख्य कारण १९३४ क भूकंप छल आ मुख्यतः मिथिलाक अवनति वोहि दिन से शरू भ गेल वो ते धन्यबाद देवाक चाही परम आदरणीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी क जे बिना कोनो मांग के  नार्थ ईस्ट कॉरिडोर मे  ई दुनु भाग के सड़क मार्ग से तथा कोशी पर रेल पुल क पुनर्निर्माण क योजना से रेल मार्ग से  मिथिला के जोड़ लैथ एकटा राजमार्ग सेहो मंजूर भेल अछि जे उमगाँव से मधुबनी – लोफा – महिषी –सहरसा से वस्तुतः सीताजी क जन्म स्थली से मंडन मिश्र क महिषी के अर्थात सीतामढ़ी –मधुबनी – सुपौल –सहरसा के जोरत l पूर्णिया हवाई अड्डा क पुनर्निर्माण सेहो अहि इलाका के जोडवा मे सहायक होयत ,दरभंगा हवाई अड्डा के खोल्वाक सेहो मांग भ रहल अछि  l महाराजाधिराज क सेहो ई सोच छल अहि से वो पहिल लोकसभा खास दरभंगा से नहि अपितु पूर्णिया दिस से लड्लैत l हम वस्तुतः पूर्णिया क श्रीनगर क स्व. कुमार गंगानंद सिन्हा के आभार व्यक्त करब जे अपन अंग्रेजी मे लिखल किताब “ दि  बिहार अर्थक्वेक एंड दि दरभंगा राज “ मे वो सब लिख्लैत जेकरा अपन मात्रभाषा मे हम रखवाक धृष्टता  अहि पोथी ‘बिहार क भूकंप अओर  दरभंगा राज ‘ मे  कायल ( उपसंहार छौड के) l सुधि पाठक क सुझाव ,आलोचना क आभारी रहब l
                                 रमन दत्त झा .