१९३४ के भूकंप के बाद दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट एक्ट के तहत शहर को विकसित नगर के रूप में पुनर्निर्माण का कार्य तो पूर्ण नहीं हो सका लेकिन ट्रस्ट एरिया के अधीन गोल मार्किट जिसमे अभी सी . एम् . साइंस कॉलेज है और टाउन हॉल के रूप में दो धरोहर हमारे सामने हैं . १९३८ को इसका निर्माण उस ज़माने के जानेमाने आर्किटेक्चर मेसर्स बल्लरडी ,थॉमसन व मैथ्यूज की डिजाइन को ठेकेदार ए. के. सरकार एंड कंपनी ने शानदार भवन का रूप दिया था। गोल मार्किट के डिज़ाइन से मेल खाते हुए उसके सामने दो बड़े गुंबद वाली भव्य इमारत टाउन हॉल का निर्माण हुआ , खुला प्रांगण, ऊंची छत वाला बड़ा हवादार हॉल, कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए बना स्टेज, हॉल के चारों ओर बड़ी-बड़ी खिड़की इसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता था। इस हॉल में २७ जुलाई १९५२ में मिथिला केसरी बाबू जानकीनन्दन सिंह ने भारतीय गणतंत्र के अधीन बिहार राज्य से अलग मिथिला राज्य की मांग को लेकर ऐतिहासिक मीटिंग की थी और सर्वसम्मति से मिथिला राज्य के लिए प्रस्ताव पारित की गयी फिर उस प्रस्ताव के क्रियान्वयन हेतु २६ जुलाई १९५३ को इस टाउन हॉल में सभा हुई थी . खूबसूरत पार्क, वाटर फाउंटेन, शांत वातावरण, जगमग रोशनी सब कुछ यहां मौजूद थे। ७ फ़रवरी १९३८ को इस भवन का शिलान्यास बिहार के गवर्नर द्वारा किया गया था तथा २ नवम्बर १९३८ को श्री अनुग्रह नारायण सिंह , मंत्री वित्त एवं लोकल सेल्फ गवर्नमेंट , बिहार के द्वारा लोगों को समर्पित कि गयी थी . १९३४ के भूकंप से पहले इस टाउन हॉल का नाम विक्टोरिया मेमोरियल टाउन हॉल था जो भूकंप मे पुर्णतः क्षतिग्रस्त हो गया था . १९६३ मे इस टाउन हॉल का नाम भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा . राजेन्द्र प्रसाद के देहांत के बाद उनके याद मे राजेन्द्र भवन रखा गया .
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