बिहार विधान परिषद् के १३३ वें सत्र में सर्व श्री अनिरुद्ध प्रसाद
,शकील अहमद खान ,रामजी प्रसाद शर्मा ,रामकृपाल यादव एवं राम प्रसाद सिंह , स , वि.
प. द्वारा दरभंगा महाराज की मृत्यु के पश्चात् गठित ट्रस्ट द्वारा अनियमितता वरते
जाने के सम्बन्ध में सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जाना
श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय , दरभंगा महाराज की मृत्यु
१ ओक्टुबुर १९६२ को हो गयी l उन्होंने मरने के पूर्व एक बिल किया था , जिसके
अनुसार उनकी सारी संपत्ति की एक तिहाई से होनेवाली आमदनी को पब्लिक चैरिटी पर खर्च
होना है , जिसके लिए एक ट्रस्ट की स्थापना की गई l उक्त ट्रस्ट द्वारा स्व .
महाराज की इच्छा के विपरीत पब्लिक चैरिटी के लिए सम्पति कौड़ी के मोल में बेचीं जा
रही है और उसका उपयोग पब्लिक चैरिटी के अतिरिक्त अन्य कार्यों में किया जा रहा है
, बिल के विरुद्ध है l उदाहरणार्थ , श्री गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी ( श्री मदन मोहन
मिश्र )का आवास वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख ७ हजार प्रति कट्ठा के हिसाब से विकी है
, जो की कम है और उससे ऊँची हैसियत की जमीन श्री द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन
३९ कट्ठा मात्र एक लाख , सत्रह हजार रूपये कट्ठा की दर से विक्री की गयी है ,
जिसका निबंधन लंबित है और खरीददार को कब्ज़ा दे दिया गया है l पब्लिक चैरिटी पर अभी
तक कोई खर्च नहीं हुआ है और सारे पैसों का दुरूपयोग किया जा रहा है l
अतः उपर्युक्त विषय के संबंध में सरकार से सदन में स्पष्ट वक्तव्य की
मांग करता हूँ l
श्री रमई राम( मंत्री ); महोदय , जिलाधिकारी , दरभंगा के
प्रतिवेदनानुसार स्थिति इस प्रकार है :
अंतिम दरभंगा महाराज
कामेश्वर सिंह की मृत्यु दिनांक १. १०.६२ को हुई l मृत्यु के पूर्व ५.७.६१ को
उन्होंने एक बसीयत बनाया था ,जिसके अनुसार तीन अनुसूचियों के अनुरूप अपनी
सम्पतियों को बांटा l
बसीयत के अनुसार १/३ हिस्सा
पब्लिक चैरिटेबल परपस के लिए दिया था l
बाद में महाराज के कई परिवारिक सदस्यों ने कई मुकदमें महाराज के पैत्रिक कोर्ट
( कलकता उच्च न्यायालय ) में किये l अंततः यह मामला माननीय उच्चतम न्यायालय में
गया और ५.१०. ८७ को फॅमिली सेटलमेंट हुआ l इस सेटलमेंट के अनुसार Resudary Estate
के पब्लिक चैरिटेबल कार्य हेतु जो सम्पति रखी गयी , उसमे प्रश्नगत भूमि भी शामिल
है l Resudury एस्टेट में वर्णित सम्पति की देख – भाल ट्रस्ट के द्वारा किए जाने
की व्यवस्था थी l resudury एस्टेट में जो सम्पति चैरिटेबल प्रॉपर्टी के लिए रखी
गयी थी , उसकी व्यवस्था महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा की जनि
चाहिए थी l२५. ३. १९९२ को त्रुस्टी ने महाराजा कामेश्वर सिंह चैरिटेबल ट्रस्ट और
दरभंगा निबंधन कार्यालय में एक डीड कार्यान्वित किया , जिसमे ट्रस्ट का एम्स एवं
ऑब्जेक्ट निर्धारित किया गया l
l
एक ट्रस्टी श्री डी. एन . झा ने समाहर्ता को यह जानकारी दी कि इस एम्स
एवं ऑब्जेक्ट के अनुसार ही लगभग ढाई – तीन माह पूर्व बंगला नंबर ५ के उच्चतम निविदादाता
डा . संजय कुमार झा ने तत्काल १४.३५ लाख रूपये जमा किया l उसके अनुसार दर ९१ हजार
रूपये प्रति कट्ठा है l श्री झा के अनुसार बंगला नंबर -२ के उच्चतम निविदादाता ने
२ लाख ७ हजार रूपये प्रति कट्ठा दर भरा , परन्तु राशि जमा नहीं की l
इस नीलामी / बिक्री पर स्थायी रोक हेतु व्यव्याहर न्यायालय , दरभंगा
में स्वत्व्वाद संख्या ५ /९९ दायर है l जिसके कारण सम्पति के निबंधन का कार्य अभी
नहीं हुआ है l
डा. नीलाम्बर चौधरी : महोदय , माननीय मंत्री महोदय से मैं यह जानना
चाहता हूँ की ६२ के बाद अभी तक चैरिटी ट्रस्ट में कितना पैसा जमा हुए और उसमे क्या
काम हुआ ? मैं ये जानना चाहता हूँ l
श्री रमई राम (मंत्री ): हुजुर , इनके प्रस्ताव में इसकी चर्चा नहीं
थी कि ६२ के बाद क्या हुआ , इसके लिए समूचा रिकॉर्ड देखना होगा ... कितनी सम्पति
..
सभापति : मूल प्रश्न जो जानना चाहते हैं माननीय सदस्य कि ...
श्री रमई राम (मंत्री ): मूल प्रश्न अभी ...
डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह : पब्लिक चैरिटी पर अभी तक जो खर्च हुआ है
और महोदय .. सारा पैसे का दुरूपयोग किया जा रहा है l सीधा प्रश्न है l
श्री रमई राम ( मंत्री ): महोदय , आपसे आग्रह करेंगें कि यह लम्बा
मामला है , इसके लिए समय चाहिए l माननीय सदस्य , जिससे कहेंगें , जाँच करायेंगें
और जाँच करा कर प्रतिवेदन ...
( व्यवधान )
डा . महाचन्द्र प्रसाद सिंह : ये राज्यहित में है , आपके हित में है l हमसब
अनुभव कर रहे है कि इसका मिसयूज काफी हुआ है l
श्री रमई राम (मंत्री ): नहीं ,हम आपसे आग्रह करते हैं महाचंद्र बाबू
, चौधरी जी से भी आग्रह करते हैं की इनसे कहिए, इसकी जाँच कराके प्रतिवेदन माननीय
सभापति महोदय को सुपुर्द कर दें l
आवाजें : कब तक ?
श्री रमई राम (मंत्री ) : जब कहेंगे , तब l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय ,
श्री भोला प्रसाद सिंह : हमलोग तो आजकल कहते हैं l लेकिन दरभंगा महाराज की सम्पतियों का मामला जो है , ट्रस्ट का मामला है , केवल दरभंगा
महाराज तक सीमित नहीं है , यह बिहार की प्रतिष्ठा , ख्याति का सम्बन्ध है l अगर
उसके ट्रस्ट में ,उसकी जमीन पर यूनिवर्सिटी बनी , उसकी जमीन पर और उसकी जायदाद का
जो दुरूपयोग हो रहा है , तो हर बिहारी से यह कंसर्न है l आप इसकी जाँच इनके
अधिकारियों से करायेंगे या कोई एजेंसी से करायेंगे , लेकिन जाँच करा लीजिए,
क्योंकि हमलोग भी सुनते हैं कि दरभंगा महाराज के पैसों का , उनकी जमींदारी की जमीन
है जिसमे म्यूजियम बनवाया और भी चीज बनवाया , यूनिवर्सिटी बनवाया , काफी उसकी लूट
हो रही है l इंडियन नेशन , आर्यावर्त की लूट हो रही है तो इसके लिए जरुरी है कि
सम्पूर्ण ट्रस्ट की जाँच हो जय और आप यदि समझिए तो सदन की समिति से जाँच करा लीजिए
l
श्री रामकृपाल यादव : मेरा भी सप्लिमेंटरी का अधिकार है l
सभापति : हाँ , बोला जाएl l
श्री रामकृपाल यादव : महोदय , ऐसा लगता है कि जो मूल प्रश्न है , सर ,
ध्यानाकर्षण के माध्यम से , उसका खुद ही संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए हैं , वे खुद
ही एहसास कर रहे हैं l चूँकि यह राज्यहित का मामला है और किसी खास व्यक्ति का
मामला नहीं है , राज्यहित का मामला है , करोड़ों – करोड़ की प्रॉपर्टी का मामला है
और उसका दुरूपयोग हो रहा है , इससे राज्य का अहित हो रहा है , इसिलिय हम चाहेंगे
कि माननीय मंत्री जी , चूँकि सब सदस्यों ने चिंता जाहिर की है कि इन तमाम मामलों
के जो आरोप हैं , उसकी तह में जाने की जरुरत है l इन तमाम मामलों की जाँच कराने की
आवश्यकता है l हम निवेदन करना चाहेंगें माननीय मंत्री से , चूँकि उन्होंने कहा है
कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है , हम जाँच के लिए तैयार हैं , तो हम जानना चाहेंगें
माननीय मंत्री जी से आपके माध्यम से कि क्यों नहीं सदन की कमिटी आप बना देते ?
तमाम तथ्यों की जानकारी आ जाएगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा l एक
कमिटी बना दीजिए सदन की और स्वयं तैयार भी हैं माननीय मंत्री जी और मैं बिलकुल
सत्य भावना से यह बात रख रहा हूँ l
श्री रमई राम ( मंत्री ) : हुजूर , मैं अपने जवाब में कह सकता हूँ कि
जिला समाहर्ता , दरभंगा के प्रतिवेदनानुसार हमने जवाब दिया है , यह स्पष्ट हम कहते
हैं l
(
व्यवधान )
(
व्यवधान )
सभापति : आप सुन लें l
श्री रमई राम ( मंत्री ): जो भी जवाब दिया है , हम उसकी चर्चा कर रहे
हैं ,आप सभापति महोदय ,जो आदेश देंगें , हम उसको मानने के लिए तैयार हैं l
( इस अवसर पर अनेक
माननीय सदस्य एक साथ बोलते रहे )
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , मैं ...
श्री भोलाप्रसाद सिंह : इसमें समिति सरकार ही बना दे l कोई जरुरी नहीं
है कि अध्यझ ही बनायें , सरकार भी बना सकती है , तो सरकार ही बना दे l
सभापति : एक आदमी बोलिए न l
श्री नवल किशोर यादव : सभापति महोदय , सिर्फ चैरिटी के माध्यम से पैसा
खर्च नहीं किया गया है , सिर्फ एक पॉइंट की बात कर रहे हैं l इसमें माननीय सदस्यों
ने लिखा है किकौड़ी के भाव में उनकी संपतियां बेचीं जा रही है , इस प्रश्न पर हमलोग
नहीं आए , दूसरी तरफ उन्होंने उदहारण दिया है कि गिरीन्द्र मोहन मिश्र जी के आवास
वाली ३७ कट्ठा जमीन २ लाख , सात हजार रूपए प्रति कट्ठा के हिसाब से बिकी है , जो
कि कम है l दूसरा उदहारण दिया गया है कि द्वारिकानाथ झा वाली आवासीय जमीन ३९ कट्ठा
मात्र एक लाख , १७ हजार रूपए कट्ठा की दर से बेचीं गई है , जिसका निबंधन लंबित है
l इसलिए सभापति महोदय , हम चाहते हैं कि जो इसमें मूल प्रश्न है कि इनकी सम्पतियों
को कौड़ी के भाव , मतलब किसी तरह या तो निबंधन कम दाम पर कराया जा रहा है या फिर
किसी को इसी तरह दे दिया जा रहा है चैरिटी शो में , पैसा नहीं जाय इसके लिए इसमें
भी हमलोग , सदन जानकारी चाहती है l
डा . महाचंद्र प्रसाद सिंह : जाँच के पीरियड में निबंधन पर रोक लगे ,
नहीं तो बैबाद हो जाएगी सम्पति सब , तो फिर जाँच किस चीज की होगी ?
(
व्यवधान )
सभापति : एक मिनट l माननीय सदस्य डा . महाचंद्र सिंह ने कहा है किअगर
आप इससे संतुष्ट नहीं हैं जो उत्तर आपके पास आया है , जिलाधिकारी के प्रतिवेदन के
आधार पर तो इस बीच में क्या सरकार निबंधन के ऊपर प्रभावी रोक लगा देगी उस समय
तक के लिए जबतक कि इसकी पूरी जाँच न हो
जाए , यह माननीय सदस्य जानना चाहते हैं l
श्री रमई राम (मंत्री ): सभापति महोदय , आपके आदेशानुसार ,
निदेशानुसार मैं निबंधन विभाग को लिखवा दूंगा विभाग से कि तत्काल जबतक जाँच नहीं
होती है ,इसका निबंधन न किया जाए l
आवाजें : क्याकह रहे हैं ?
सभापति : नहीं , निबंधन पर रोक लगाने के बारे में सरकार ने कहा कि वे
आदेश दे देंगें ताकि निबंधन इस बीच में न हो और जाँच के बारे में जो निर्णय होगा ,
उसके आलोक में जाँच की जाएगी l
श्री रामकृपाल यादव : माननीय मंत्री जी तैयार हैं किसी भी समय जाँच के
लिए तो क्या दिक्कत है ?
( व्यवधान
)
श्री भोलाप्रसाद सिंह : सरकार भी समिति बनती है l मुझे भी कम से कम
सुनील मुखर्जी के साथ मेंबर रहने का मौका मिला है l सरकार ही समिति बना दे l कोई
जरुरी नहीं है कि सदन का अध्यझ ही समिति बनाये l
सभापति : ठीक है
( व्यवधान
)
सभापति : माननीय उप नेता कुछ कहना चाह रहे हैं l
श्री रामनंदन सिंह : सभापति महोदय , माननीय सदस्य शकील अहमद साहब एवं
अन्य माननीय सदस्यों ने जो ध्यानाकर्षण
किया था , वे लोग अभी हैं नहीं l
श्री शकील अहमद खान ( बैठे – बैठे ) : हम हैं l
श्री रामनंदन सिंह : और माननीय मंत्री जिस समय पढ़ा गया था और माननीय
मंत्री ने जवाब दिया , उसमे एक बेसिक पॉइंट जो है इसमें पूछा गया , तो कहा कि इतना
नहीं है तो अच्छा होगा की १९ तारीख को जो आपने अभी उठाया है उसको छानबीन के बाद
जवाब दिया जायेगा l
श्री रमई राम (मंत्री ) : नहीं , नहीं l छानबीन नहीं हो सकती है
l इतना जल्दी कैसे होगा l इसलिए आप जाँच
करा लीजिये l जिससे करना है , हम तैयार हैं l
सभापति : माननीय सदस्य श्री भोलाप्रसाद सिंह ने एक प्रस्ताव दिया कि
सरकार इस विषय को गम्भीरता को देखते हुए सम्पति का दुरूपयोग नहीं हो , नाजायज उसका
उपयोग न हो , इसके लिए सरकार स्वयं एक समिति विधिवत गठित कर दे और उसमे सरकार अगर
चाहे तो जनप्रतिनिधियों को भी शामिल कर सकती है l क्या सरकार ऐसा निर्णय लेगी ?
श्री रमई राम ( मंत्री ) : महोदय , मैं पहले ही कह चूका हूँ कि आसन का
जो निर्देश होगा उसमे माननीय सदस्य है , चौधरीजी भी रहेंगें l
श्री शकील अहमद खान : माननीय सभापति महोदय सरकार तो हमारे मुख्यमंत्री
जी है ...
( व्यवधान
)
श्री शकील अहमद खान : महोदय , आसन का निर्देश हो जाय l
सभापति : सरकार इस मामले में उच्च अधिकार प्राप्त एक समिति का गठन करे
जो एक महीने के अन्दर जाँच प्रतिवेदन अपना सरकार को समर्पित करे l
क्या सरकार ने उच्च अधिकार समिति गठन की ? क्या समिति ने अपनी रिपोर्ट
सरकार को सौंपी ?क्या जाँच के दौरान भूमि के निबंधन पर रोक लगी ? जारी देखते रहें हमारा ब्लॉग ......