Wednesday 26 August 2015

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय मे १७ सितम्बर १९३९ के प्रो- चांसलर डा . कामेश्वर सिंह क अध्यक्षीय व्यख्यान


महानुभाव ,
ई बैसार एहि विश्वविद्यालय क इतिहास क मीलक पथर हे व जा रहल अछि l एहि नामी शिक्षl पीठ क एक निर्माता(महामना मदन मोहन मालवीय )  आइ अहि से अधिकारिक रूप से अलग भ रहला हां. बरखो पहिने ओ एक सपना देखने रहयत l जे दिन क रौशनी क मोहनी छल l ओ सब  अपन  कठोर परिश्रम से सपना के  वास्तविकता मे परिणत केलैथ l अहि महान  देश क कतेक राजा – महाराज आउर लोग बाग अपन कन्हा अहि धुरी में लगौलैत अऔर काशी क पवित्र शहर मे गंगा क कछार में अहि संस्था के खरा केलैंह जे पुरना गुरुकुल अऔर आजुक विश्वविद्यालय क बीच एक कड़ी अछि l तक्षशिला ,नालंदा अऔर विक्रमशिला क पुनर्जन्म क सपना २० वीं शदी में अहि नालाग्राम क विरहत झेत्र मे सच भेल l आब वो सपना नहीं रहल l वो हमरा सब लेल ठोस मूर्त रूप भ गेल अऔर अबय वाला पीढ़ी  ओकरा कायम रखता अऔर गर्व महसूस करता l महामना  क उपहार , ईश्वर क अहि कार्य मे इच्छा अहि प्रमुख संस्था के अही ठाम नहि रोकत l उनकर देश लेल प्रेम हुनका विश्राम क अनुमति नहि दैत अछि  l ओ अपन आवाज से भारत के जगबैत रहला अऔर नेता , प्रजाक क शासक के सब धर्म क महत्वपूर्ण वीज के संरझित रैख भविष्य क महान विकास आउर  उन्नति एक नया रूप में प्रेरित केलैथ आउर  नव सभ्यता क भाव हुनक गौरव गाथा क बखान करैत अछि l मुदा आदमी क शरीर क अपन सीमा छै l हुनका लग्लैंह जे शारीरिक झमता अहि मशाल के थमने रहनैय क अनुमति नहि देत अछि l आउर  वो अपन राष्ट्र क अगला पीढ़ी के अहिठाम  से  आगू बढेवाक लेल थमा रहल छैथ l अहि पवित्र अवसर पर हम हुनका  अपन अपार आदर अर्पित करैत नमस्कार करैत छी l
महोदय , हम आइ दुखी नहि भ सकैत छी l हमरा वोहि दिन क स्मरण अतीत में ल जायत अछि जेखन हमर स्वर्गवाशी पिता  विस्वविद्यालय क स्थापना क योजना मे पूरा मोन से आदरणीय पंडित जी क संग मिलके कोष जमा करवा में नेतृत्व केलैथ .मालवीयजी क शुरू क हमर छाप अहि यूनिवर्सिटी से जुरल रह्वाक स्थायी अछि l हम हमेशा विचार करैत छी जे ओ बनरस हिन्दू यूनिवर्सिटी के मूर्त रूप देलैथ . अहि द्वारे बिना कोनो मलाल के हम दोसर तरहे सोचे छी मुदा इतवा हम निश्चित करव जे हमरा जे थोर संतुष्टि ई जैन के भेटल जे महामहिम लार्ड रेक्टर हुनका कुलपति पद छोरलाक  क  उपरांत विस्वविद्यालय क  उप संरझक मनोनीत केलैथ हां .
महानुभाव ,यद्यपि आब ओ विश्वविद्यालय क मामला मे सक्रिय रूप से भाग नहि लेता मुदा हमरा कोनो शंका नहि अछि जे हुनक ठोस  सेवा अऔर त्याग  केखनो हमरा सब के जे अहि विश्वविद्यालय के काज में लागल छी  हुनक उद्देश से भटक नहि देत  मार्गदर्शन अऔर  प्रोत्साहित करैत रहत l हुनक जीवन भैर क तपस्चर्य हमरा सबके डिग नहि देत आउर  जे महान उदहारण ओ  हमरा सब लग स्थापित   केलैथ ओ केखनो दृष्टि से अझोल नहि हैत l जेना अहाँ सब जनैत छी  पंडित मदन मोहन मालवीय मात्र  एक नाम नहि  छैथ वो  समस्त हिन्दू भारत क आत्मा क सूचक छैथ .ई हमरा सब  लेल संभव नहि अछि जे केना हुनक कृतज्ञता ज्ञापन करी . हमरा सब लेल गर्वक गप्प अछि जे हम सब हुनक राष्ट्र क छी ,गर्व अछि जे हम सब सब वोहि जाति से छी जे एहन महान मेधावी उत्पन्न केलक आउर  ई हमर सबहक सौभाग्य अछि जे हुनक विशाल  ज्ञान आउर   अनुभव एखनो हमरा सब के उपलब्ध अछि l वो स्वास्थ्य और दीर्घायु होयत !. 
हम सब अपना सब के धन्यबाद देब जे हमर सबहक  अहि महान राष्ट्रपुरुष से एक दोसर महान राष्ट्र पुरुष( डा. सर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ) जे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लब्धप्रतिष्ठित  विद्वान ,एक स्वाभाविक चिन्तक आउर  भारतीय धर्म और दर्शन क एक अधिकारिक वेत्ता क  हाथ में दीप  जायत.lई कहब उचित हायत जे अहि विश्वविद्यालय क नियंतण क मामला पूरब और पश्चिम क समन्वय बनेवाक उद्देश्य मुख्यतः वोहि व्यक्ति क हाथ में जेवाक चाही जे अहि विषय पर विशिष्ट अध्ययन आउर  पूरा परिश्रम ,उत्साह एवं  निपुणता से अपन  नियम के व्यवहार में लाबयत l .फेर, ध्यान देवाक योग्य अछि जे ओ अपन सम्बन्ध कोलकाता और ऑक्सफ़ोर्ड से जारी रखता l . हमरा पूर्ण आशा अछि  जे अहि तरहे वो पुरवी और पश्चमी संस्कृति आउर  सभ्यता से प्रभावकारी संपर्क स्थापित करवा में सक्षम होयता l  हुनका सफलता क शुभकामना आउर  प्रार्थना अछि जे हुनक कुलपति क कार्यकाल मे विश्वविद्यालय उन्नति करे तथा  जहि उदेश्य लेल एकर स्थापना भेल ओ पूरा हो l

                                                       ( अंग्रेजी से मैथिलि मे अनुवाद . ....)  

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