Thursday, 29 June 2017

महाराजा रमेश्वर सिंह का ड्रीम लैंड राजनगर


महाराजा रमेश्वर सिंह महाराज लक्ष्मिश्वर सिंह के छोटे भाई थे l महाराज लक्ष्मिश्वर सिंह को  दरभंगा राज की राजगद्दी पर बैठने के बाद रमेश्वर सिंह को दरभंगा राज का बछोर परगना दी गयी और रमेश्वर सिंह ने अपना मुख्यालय राजनगर को बनाया l उनकी अभिरुचि भारतीय संस्कृति और धर्म में था l अपनी अभुरुची के अनुरूप उन्होंने राजनगर में राजप्रसाद का निर्माण कराया जिसकी कोना- कोना  हिन्दू वैभव को दर्शाता था l तालाबों से युक्त  शानदार महलों और भव्य मंदिरों , अलग से सचिवालय ,नदी और तालाबों में सुन्दर घाट जैसे किसी हिन्दू साम्राज्य की राजधानी हो महल में प्रवेश दुर्गा हॉल से होकर था जहाँ दुर्गा जी की सुन्दर मूर्ति थी ,शानदार दरवार हॉल जिसकी नक्कासी देखते बनती थी उससे सटे ड्राइंग रूम जिसमे मृग आसन उत्तर में गणेश भवन जो उनका स्टडी कझ था महल का पुराना हिस्सा बड़ा कोठा कहलाता था महल के बाहर सुन्दर उपवन सामने नदी और तालाब मंदिर के तरफ शिव मंदिर जो दझिन भारतीय शैली का बना था ,उसी तरह सूर्य मंदिर ,सफ़ेद संगमरमर का काली मंदिर जिसमे प्रतिस्थापित माँ काली की विशाल मूर्ती  मंदिर दरभंगा के श्यामा काली के करीब करीब हुबहू  , सामने विशाल घंटा वह भी दरभंगा के तरह हीं   जिसके जैसा पुरे प्रान्त में नहीं था   ,   अर्धनारीश्वर मंदिर .राजराजेश्वरी मंदिर ,गिरजा मंदिर  जिसे देख के लगता था जैसे दझिन भारत के किसी हिन्दू राजा  की  राजधानी हो  l महाराज रमेश्वर सिंह वास्तव में एक राजर्षि थे इन्होने अपने इस ड्रीम लैंड को बनाने में करोड़ों रूपये पौराणिक कला और संस्कृति को दर्शाने पर खर्च किये थे देश के कोने कोने से राजा महाराज ,ऋषि ,पंडित का आना जाना रहता था l जो भी इस राजप्रसाद को देखते थे उसके स्वर्गिक सौन्दर्य को देखकर प्रशंसा करते नहीं थकते थे l प्रजा के प्रति वात्सल प्रेम था जो भी कुछ माँगा खाली हाथ नहीं गया l दरभंगा के महाराज के देहान्त के बाद दरभंगा के राजगद्दी पर बैठने के बाद भी बराबर दुर्गा पूजा और अन्य अवसरों पर राजनगर आते रहते थे l दुर्गा पूजा पर भव्य आयोजन राजनगर में होता था ,मंदिरों में नित्य पूजा - पाठ .भोग ,प्रसाद ,आरती नियुक्त पुरोहित करते थे l १९२९ में दरभंगा में उनका देहांत हुआ और उनके चिता पर दरभंगा के मधेश्वर में   माँ श्यामा काली की भव्य मंदिर है l उनके मृत्यु के बाद राजनगर श्रीविहीन हो गयी और १९३४ के भूकंप में ताश के महल जैसा धराशायी हो गयी लेकिन अभी भी कई मंदिर और राजप्रसाद के खंडहर से पुरानी हिन्दू वैभव की याद आती है इसकी एक एक ईंट भारत के महान साधक की याद दिलाती है l राजनगर जिला मुख्यालय मधुबनी से २० किलो मीटर पूरब में है और दरभंगा से ६० कि.मी .पूरब दझिन में स्थित है l  

2 comments:

  1. अहा राजनगर के विषय में बहुत सुन्दर जानकारी देलियै अहाँ रमन जी | बहुत बहुत आभार

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    1. अपने के नीक लागल ई जानि मोन प्रसन्न भेल l उत्साहवर्धन लेल बहुत बहुत धन्यवाद अजयजी l

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