हरियर घास, कारी बाट, कात मे गुलमोहर क गाछ, लकडी क गेट आ पांच स सात बिग्घा क परिसर मे पीयर-पीयर बंगला कोना बिसरी सकैत छी। दरभंगा क गिरिद्र मोहन मिश्र पथ क इ स्मरण लुटियन दिल्ली आ नूतन राजधानी क्षेत्र पटना क समतुल्य छल। कहल जाइत छै जे पुरान घर खसे आ नव घर उठे, ताहि परिपेक्ष मे देखल जाए त 1934 क भूकंप क बाद खसल पुरान घर क स्थान पर बनल इ नव घर एतबा जल्दी पुरान भ खसि पडत तेकर कल्पना नहि छल। गिरिद्र मोहन मिश्र रोड क एकटा बंगला नंबर 10 स हमर व्यक्तिगत जुडाव रहल। हमर जन्म काल स आइ धरि आंखिक सामने मे एहि सडक आ संपूर्ण मिथिला कए अवसान देखबाक दुर्भाग्य भेटल। सच पूछू त देखैत देखैत सब किछु बदलि गेल । एकटा खिस्सा जेका लगैत अछि ओ सबकिछु आइ। तहि लेल एकटा खिस्सा जेकां अहां सब लग ओहि विकास क सपना कए रखबाक कोशिश क रहल छी ।
कोनो शहरक विकास लेल पहिने ओकर पिछडापन कए बुझब जरुरी होइत अछि, दरभंगा क विनाश क कारण बुझने बिना एकर आगू क विकास दिशाहीन होएत आ किछु हद तक संभव सेहो नहि अछि। 1934 मे आयल भयंकर भूकम्प क बाद दरभंगा क तत्कालीन युवा महाराजाधिराज राज एरिया स सटल करीब 87 बीग्घा जमीन रैयत स बाजार दाम स बेसी टका पर अधिग्रहण केलथि आ निश्चित योजना क तहत पैघ पैमाने पर निर्माण कार्य प्रारम्भ कराउल गेल। एहि योजना क अंतर्गत हराही रेलवे स्टेशन (एकर बाद मे दरभंगा स्टेशन नाम द देल गेल) स राज पुस्तकालय तक गिरीन्द्र मोहन रोड क निर्माण भेल। एकर दूनू कात ‘A’ टाइप बंगला आ एकर दक्षिण बी टाइप क्वार्टर बनल । चौडा रोड क दूनू कात फूटपाथ, स्ट्रीट लाइट ,अंडर ग्राउंड केबल, नल क व्यवस्था कैल गेल, जे ताहि समय मे बिहारक कोनो आन शहर मे उपलब्ध नहि छल। पक्का ड्रेनेज क सेहो निर्माण एहि पहिल कालॉनी मे भेल ताहि कारण स जलजमाव आ कादो एहि ठामक लोग लेल सपना छल । बंगला मे प्रवेश करबा लेल दू गोट बाट मुख्य परिसर वृत मे छल जे बंगला क पोर्टिको स गुजरैत छल । ओहि रास्ता क काते काते बोतल पम्प क गाछ एखनो मन प्रफुल्लित क दैत अछि । एहि रोड पर एहन कुल ९ टा बंगला छल, जाहि मे तिरहुत सरकार ९ टा प्रमुख पदाधिकारी रहैत छलाह । सबटा बंगला मे छह टा पैघ-पैघ कोठली छल । सबटा बंगला मे आउट हाउस आ गैराज आ गाड़ी धोबा लेल वर्क स्टेशन बनल छल । गिरीन्द्र मोहन रोड क उत्तर स्थित बंगला आ दक्षिण स्थित बंगला मे कनि भिन्नता छल । एकटा इंग्लिश स्टाइल क छल जेना ओकर ड्राइंग रूम मे फायर बॉक्स छल । सब आवास मेससर मैकिनटोश बर्न द्वारा भूकंप निरोधी तकनीक स निर्मित कैल गेल छल । आउट हाउस क छत सीमेंट क लाल खपरा (टाइल्स ) क छल, जाहि पर Burn(ब्रुन) खुदाइल छल। सबटा आवास इंट क चाहरदीवारी आ ओकर उपर लोहा क जाली स घेरल छल । जाली पर लाल रंग क गुची वाला लाटर छल आ ओकर बगल स श्रिष्ट जाहि मे पीयर फूल होइत छल । सड़क स बंगला करीब – करीब नहि देखाइ दैत छल । रोड क कात क गुलमोहर या अमलतास क गाछ गर्मी मे गिरीन्द्र मोहन रोड लाल आ पीयर रंग स पाटि दैत दल । बंगला नंबर 1 मे मोहंगी क गाछ देखबा योग्य छल । इ बंगला गिरिद्र मोहन मिश्र लेल आवंटित छल । बाद मे इ बंगला मे युवराज जीवेश्वर सिंह लेल आवंटित कैल गेल । बंगला नंबर 8 क गेट क समीप मस्जिद अछि । जे गिरिद्र मोहन मिश्र रोड क दरभंगवी संस्कृति कए देखबैत अछि । ओकर आगू करवला अछि । स्टेशन स करवला स सीधा पश्चिम गिरीन्द्र मोहन रोड स होइत पैलेस एरिया जेबाक बाट छल । करवला क दाहिना एक टा पैघ उज्जर द्वार आ लोहा क गेट छल जाहि ठाम स डेनबी रोड A टाइप बंगला नंबर 6 होइत सडक पैलेस एरिया जाइत छल । इ सडक सेहो गिरिद्र मोहन मिश्र रोड जेका सुसज्जित छल । बंगला नंबर 6 स सटल एकटा पार्क छल । एकर अलावा सी टाइप ,डी टाइप , इ टाइप क्वार्टर छल जे लेक (सरोवर ) क काते काते एक प्रकार स मेरिन ड्राइव आनंद दैत छल । गिरिद्र मोहन रोड आ डेनबी रोड एहि दूनू कालॉनी क सडक अलग अलग गेट स पैलेस एहिया मे जाइत छल । सबटा ठाम कारी लोहा क मजबूत नक्कशीदार गेट छल । पेलेस एरिया मे जे पहिने धुलभरल बाट छल तेकरा नव निर्माण मे पक्का आ चौडा सडकक रूप देल गेल छल । तत्कालीन सरकार सरकार अहि पर कई लाख टका खर्च केने छल । राज परिवार क भांति दरभंगा क आम जनता लेल सेहो एकटा प्लान टाउनशिप विकसित करबाक प्रस्ताव महाराजा कामेश्वर सिंह ब्रिटिश सरकार लग रखलथि आ अपन आर्थिक हिस्सेदारी देबाक प्रस्ताव सेहो ओहि मे सम्मलित केलथि । कामेश्वर सिंह क प्रस्ताव क अनुसार दरभंगा क विकास सुनियोजित तरीका स हेबाक चाही ताहि लेल एकटा दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बनाउल जेबाक चाही। एहि संदर्भ मे अगर सरकार कोनो विधेयक विधान परिषद मे अनैत अछि त हमरा खुशी होउत । महाराजा कामेश्वर सिंह क प्रस्ताव पर बिहार व उडिशा विधान परिषद् मे एहि संर्दभ मे एकटा विधेयक आनल गेल आ काफी बहसक बाद पारित भेल । एहि विधेयक क अनुसार दरभंगा मे बाजार क विस्तार ,रोड क चौरीकरण , पार्क , अस्पताल लेल जगह क आरक्षण, पर्यावरण ,जल निकासी ,जलापूर्ति , बिजली आपूर्ति क समुचित प्रबंध करबाक छल । दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल ( बिल नंबर 7 /1934 ) बिहार उडिशा विधान परिषद् मे सरकार क दिस स 3 सितम्बर कए प्रस्तुत कैल गेल । विधेयक पेश करैत मिस्टर डब्लू . बी . ब्रेट अपन संबोधन मे कहला जे भूकंप क बाद दरभंगा क महाराजाधिराज आगू बढि कए शहरक विकास लेल प्रस्ताव देलथि अछि आ एकरा लेल एकटा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बनेबाक आग्रह केलथि अछि जाहि मे ओ अपन दिस स पैघ राशि देबाक इच्छा प्रकट केलथि अछि। महाराजक एहि प्रस्ताव कए सरकार स्वागत करैत अछि जाहि स शहर क तंग आ संकरी बस्ती कए फेर स एहि रूप मे प्लान क बनाउल जाएत जाहि स दरभंगा क लोक कए पिछला भूकंप मे जे त्रासदी आ जान-माल क नुकसान भेल ओ नहि भ सकत। दरभंगा कए इम्प्रूवमेंट स्कीम किया चाही एहि संबंध मे काफी बहस भेल । एहि बहस मे ब्रेट कहला जे पिछला भूकंप देखिनिहार अगर इ सवाल करैत छथि त आश्चर्य । बहस मे कहल गेल इ गप सही अछि जे इ शहर दू भाग मे बंटल अछि । दरभंगा आ लहेरियासराय, जे काफी खुलल अछि आ मुख्य सडक चौडा अछि, मुदा शहरक पश्चिम भाग जे आन भाग स प्राचीन अछि आ काफी तंग अछि, इ इलाका मुख्य रूप स बाजार क इलाका अछि। बड़ी बाजार स कटकी बाजार होइत गुदरी बाजार तक काफी घना बस्ती अछि आ भूकंप क दौरान एहि ठाम भगदड क संभावना अछि । एहन मे एहि ठाम लेल इम्प्रूवमेंट स्कीम क सख्त जरुरत अछि । भूकंप स पहिने इ काफी घनी भीड़ वाला बाजार छल, जतए संकरी सड़क छल ओहन किछु मजबूत मकान छल, मुदा अधिकांश पुरान आ छोट – छोट दुकान छल । एहि ठाम एतबा भीड रहैत अछि जे दम लेबाक लेल जगह नहि भेटैत अछि । एहन मे अगर फेर स ओहन भूकंप भेल त एहि तंग गली मे ओहन घटना घटत जेहन हाल मे आयल भूकंप में मुंगेर मे घटल अछि । लोग घर स निकलत त बाट पर मकान क मलबा मे दबा जायत । कोनो खुलल जगह एहि ठाम नहि अछि । ओना विगत 3-4 मास मे हमरा कईटा सुझाव प्राप्त भेल अछि । किछु सुझाव नीक छल त किछु अव्यावहारिक । इ सच अछि जे आब पक्का कंक्रीट क घर बनबाक चाही ,किछु सदस्यक कहब अछि जे एहन घर बनए जे भूकंप मे झूलि जाय, मुदा एकटा मुर्ख आदमी क नाते हम मानैत छी जे सबस बेहतर होएत जे भूकंप एला पर लोग दौड़ कए जल्दी स जल्दी खुलल जगह पर आबि जाइथि जतए हुनकर माथ पर कोनो मलबा खसबाक संदेह नहि रहए । मुदा बड़ी बाजार क लोक कए इ सलाह देनाइ मजाक होएत । कल्पना करू जे 10 फुट क सड़क पर हजार स बेसी लोक एकाएक एला पर के आगू भागी सकत । ककरो लेल बाहर निकलब कठिन हाएत । एहि लेल जरुरी अछि जे एहि बाजार कए फेर स बनाउल जाये । जाहि मे चौडा रोड बने । इ काज इम्प्रूवमेंट स्कीम करत l एकरा जरूरी कहब नम्र शब्द होएत दरअसल इ दरभंगा क लोक लेल जीवन होएत ।
यदि आजुक पीढ़ी कए नहि त निश्चित रूप स हुनकर आगूक पीढ़ी लेल l बहस क अंत निर्णायक नहि रहल आ इ विधेयक एकटा सेलेक्ट कमेटी कए सौंप देल गेल । एहि समिति कए बिल पर 7 सितम्बर ,1934 तक रिपोर्ट देबा लेल कहल गेल । कमिटी मे श्री सच्चिदानंद सिन्हा , मौलवी शेख मुहम्मद शफी , मौलवी मुहम्मद हस्सन जन , राय बहादुर श्यामानंद सहाय , बाबु चंद्रेश्वर प्रशाद नारायण सिन्हा , मिस्टर डब्लू . जी . लकी और कुमार गंगानंद सिन्हा सदस्य बनाउल गेलाह । सेलेक्ट कमिटी क रिपोर्ट दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल क पक्ष मे रहल । रिपोर्ट सदन मे राखल गेल त ओहि पर सेहो खूब बहस भेल। 18 सितम्बर 1934 कए आखिरार विधेयक पारित भेल। पारित हेबा स पूर्व मुहम्मद शेख शफी बिल मे संसोधन क प्रस्ताव दैत कहला जे एहि विधेयक क कॉपी दरभंगा क लोक मे प्रसारित कैल जाय, जेकर विरोध में डा. सच्चिदानंद सिन्हा ठार भेलाह । श्री सिन्हा क संग मौलवी मुहम्मद हस्सन जन सेहो एहि संशोधन क विरोध केलथि । मौलवी हस्सन जन कहला जे अगर केकरो एहि बिल स असुविधा अछि त ओ एकटा पुनीत कार्य लेल एहि शहर क हित मे एहि असुविधा कए वहन करबा लेल तैयार रहू, नहि त क्षेत्र क प्रगति कहियो नहि भ सकत आ आगू क पीढी लेल अहां खलनायक सिद्ध भ जायब । राय बहादुर द्वारिकानाथ जे तिरहुत डिवीज़न नगरपालिका स चुनि कए सदन मे आयल छलाह ओ सेहो एहि बिल क समर्थन केलथि आ कहलथि जे एहन बिल केवल दरभंगा लेल किया आन शहर लेल सेहो एबाक चाही। ओ कहला जे हम एहि विधेयक क विरोध करैत रही मुदा लोकक अवधारणा जे इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट दरभंगा राज क इशारा पर आनल गेल अछि एकर हम खंडन करैत छी आ इ आरोप बेबुनियाद अछि । ओ कहला जे ट्रस्ट बोर्ड क छह सदस्य मे मात्र एकटा सदस्य दरभंगा महाराज कए मनोनीत करबाक अधिकार अछि । बाबू निरसु नारायण सिन्हा सेहो बिलक समर्थन केलथि,बाबू हरेकृष्ण चौधरी कहलथि जे दरभंगाक विकास मे इ मीलक पाथर साबित होएत । मौलवी मुहम्मद अब्दुल घनी पूजा आ इबादत क स्थान कए ल कए प्रस्ताव देलथि जाहि पर सरकार कहलक जे पूजा स्थान यथावत राखल जाएत, चाहे वो सडकक बीच मे किया नहि आबि जाये । बहसक अंत मे डा. सच्चिदानंद सिन्हा दरभंगा इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट बिल क पुरजोर समर्थन करैत एकरा पास करबाक प्रस्ताव रखलथि । सिन्हा कहलथि जे इ आधुनिक दरभंगा नहि बल्कि आधुनिक बिहार क सपना थीक । ओ कहला जे भारत मे लोक हित मे हमर अमीर लोकनि टका नहि खर्च करैत छथि जेना कि दोसर देश सब क मे अमीर लोकनि खर्च करैत छथि । ओहि देश सब मे लोक भावना अपन देश स बेसी अछि । अपन देश मे जतए अधिकांश लोक गरीब अछि धनवान लोकक टका लोक हित मे लगबाक चाही । एहि विधेयक क सराहना एहि गप क लेल सेहो हेबाक चाही । महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह एहि आपदा क समय मे लोकहित मे सराहनीय कार्य केलथि अछि । हुनकर दान क लाभ उठेबाक जरुरत अछि आ ताहि लेल बिल कए पारित करब जरुरी अछि । एकर बाद बिल पास भ गेल । ट्रस्ट क चैयरमैन बाबू विशेश्वर सिंह कए बनाउल गेल आ ट्रस्ट अगिला नवम्बर स कार्य करै लागल। ट्रस्ट द्वारा सबस पहिने दरभंगा-लहेरियासराय क हवाई सर्वे कराउल गेल । एहि प्रकार स दरभंगा देशक पहिल शहर बनल जेकर विकासक खाका आसमान मे बनल । कोलोनेल टेम्पले कए दरभंगा टाउशिप विकसित करबाक जिम्मा सौंपल गेल । राज परिसर क बाहर राजपरिसर जेका सुव्यवस्थित नगर बसेबाक चुनौती क अंदाजा टेम्पले कए छल । ओ अपन योग्यता क परिचय देलथि । महाराजा ऑफिस हुनका दरभंगा क प्लान कए अमली जामा पहिरेबा मे काफी मदद केलक । मुदा टेम्पले क सपना पूरा जमीन पर नहि उतरि सकल । 1942 क भारत छोडो आंदोलन आ एकटा नव शासन व्यवस्था प्रर्दुभाव क आहट समाज क अदूरदर्शी लोक सब कए मौका द देलक । योजना क मुख्य केंद्र गोल मार्केट क दरभंगा क एकटा मुख्य कारोबारी विरोध क देलथि । किछु लोग बंगाली टोला स मिथिला कॉलेज कए स्थानांतिक क ओहि बाजार मे आनि देलथि । कटकी बाजार आ बड़ी बाजार गोल मार्केट मे शिफ्ट नहि भ सकल । ओहि दूनू बाजार क सड़क संकरी रहि गेल । एहि प्रकार स चिल्ड्रेन पार्क लेल आरक्षित जगह पर स्कूल खोली देल गेल जखन कि लालबाग मे राज स्कूल लग आमजन लेल पार्क क स्थान आइ धरि मैदान बनल अछि । 1988 आ 2015 क भूकंप मे फेर स ओ चिंता जताउल गेल । 1988 मे त जानमाल क क्षति सेहो भेल । अजीमाबाद पार्क मे कॉलेज खोलला स दरभंगा शिक्षा क केंद्र त नहि बनि सकल, मुदा जे प्रदेश क एकटा पैघ व्यापारिक केंद्र बनबा क सपना देखैत छल ओ सपना नींद टूटबा स पूर्वहि टूटी गेल..दरभंगा एखन धरि अपन भविष्य क प्रति सचेत भ सुतल अछि । सच कहू त 1934 मे सुव्यवस्थित रूप स बसबा लेल अगर उजरि गेल रहिते दरभंगा, त आइ बचि गेल रहिते दरभंगा । काश..स्मार्ट सिटी की सूची मे आबि गेल रहिते दरभंगा ।
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